ग्रेटर निगम की व्यवस्थाएं चढ़ी मेयर और आयुक्त की अंदरूनी लड़ाई की भेंट
अफसरों के तबादले कर एक दूसरे पर निकाल रहे भड़ास
हर तरफ कचरे के ढेर, सड़कों पर घूमते बेसहारा पशु
नगर निगम कर्मचारी, पार्षद और जनता हो रही परेशान
जयपुर। 11 नवंबर 2024 (न्याय स्तंभ) भले ही नगर निगम ग्रेटर जयपुर की दशा सुधारने के लिए बड़े-बड़े दावे कर ले लेकिन व्यवस्था सुधरना तो दूर बल्कि और विकट होती जा रही है। राइज़िंग राजस्थान और सर्वेक्षण 2024 सिर पर है लेकिन सड़कों पर जगह-जगह पड़े कचरे के ढेर और बेसहारा घूमते पशु बदहाली का हाल बता ही देते हैं। वहीं महापौर और आयुक्त की अंदरूनी खींचतान में नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी, पार्षद और जनता अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
मेयर और आयुक्त की लड़ाई , पार्षद और जनता की शामत आई
नगर निगम ग्रेटर में आयुक्त और महापौर के बीच विवाद कोई नहीं बात नहीं है। अपनी अहमियत दिखाने का ये खेल बरसों से चल रहा है। कई बार तो एक दूसरे के खिलाफ़ थाने और कोर्ट में भी मामले पहुंचे हैं। वही हालात अब मेयर सौम्या गुर्जर और रुक्मिणी रियाड़ के बीच में अंदरूनी खींचतान के चलते पैदा हो रहे हैं। मेयर शहरी सरकार की मुखिया होने के नाते निगम को अपने तरीके से चलाना चाहती है वहीं आयुक्त रुक्मिणी रियाड़ भजनलाल सरकार में मुख्य सचिव सुधांशु पंत की तरह सब कुछ अपने हिसाब से करना चाहती है लेकिन इन सबके बीच पार्षदों और जनता का बड़ा नुकसान हो रहा है। इनके विवाद में पार्षदों का विकास कार्यों के लिए दिया जाने वाला फंड अटका पड़ा है जिससे वो कुछ काम नहीं करवा पा रहे और इसका सीधा नुकसान जनता को हो रहा है। लेकिन भजनलाल सरकार का इस तरफ कोई ध्यान नहीं देना ये दर्शाता है कि उनको जनता की कोई फिक्र ही नहीं है।
दोनों के ऊंचे रसूखात सरकार भी पशोपेश में
हालांकि सूत्रों का कहना है कि सरकार दोनों पर ही कोई कार्रवाई करने में अक्षम है क्योंकि मेयर के पास संघ का दम है तो आयुक्त के पति भी सीएम हाउस में मोर्चा संभाले हुए हैं। लोगों का कहना है कि एक बार पहले भी मेयर सौम्या गुर्जर बीवीजी कंपनी के भुगतान के संबंध में विवादों में रह चुकी है।
बार-बार अधिकारियों के तबादलों से बिगड़ी व्यवस्था
प्रदेश सरकार का बहुत महत्वपूर्ण इवेंट राइज़िंग राजस्थान सिर पर है लेकिन नगर निगम अपनी अंदरूनी लड़ाइयों और अधिकारियों के तबादले में व्यस्त है। सरकार भी राइजिंग राजस्थान को लेकर इतनी गम्भीर नजर नहीं आती क्योंकि अगर ऐसा होता तो निगम में ऐसे समय तो पुराने समय से व्यवस्थाएं संभाले हुए अधिकारियों के तबादले नहीं होते।
निगम के कर्मचारी भी दोनों की खींचतान से त्रस्त
नगर निगम ग्रेटर में अपने-अपने वजूद के लिए चल रही आपसी खींचतान से अब निगम के कर्मचारी भी त्रस्त हो गए हैं। उनका कहना है कि मेयर सौम्या गुर्जर निगम की मुखिया है इसलिए उनकी बात अनसुनी नहीं कर सकते वहीं आयुक्त रुक्मिणी रियाड़ हमारी अधिकारी है उनके आदेशों की अवहेलना भी नहीं कर सकते । सूत्रों का कहना है ऐसे में अब वे भी इस लड़ाई से तंग आ चुके हैं। और जल्दी से जल्दी इस बोर्ड के समाप्त होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमारे कई सारे अधिकारियों के तबादले तो व्यवस्था के नाम पर कर दिए गए हैं लेकिन हमारा तबादला कर दिया तो हमको भी यहां से जाना पड़ेगा। इसलिए वे अपनी नौकरी बचते-बचते कर रहे हैं।