प.नीरज शर्मा
जयपुर। 2 मार्च 2023 (न्याय स्तंभ) इस वर्ष होलिका दहन को लेकर जनमानस में असमंजस की स्थिति बनी हुई है इस लेख के माध्यम से हम होलिका दहन से सम्बंधित शंकाओं का समाधान कर रहे हैं, आशा करते हैं सभी इससे लाभान्वित होंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रदोष काल व्याप्त फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा रहित काल में होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा केवल पहले दिन 6 मार्च को ही प्रदोष व्यापिनी है। 6 मार्च को प्रदोषकाल सायं 06:25 से 08:55 मिनट तक रहेगा यह भद्रा से व्याप्त है। और भद्रा निशीथ (अर्द्धरात्रि) से आगे जाकर प्रातः 05:14 पर समाप्त होगी।
अगले दिन पूर्णिमा साढे तीन प्रहर से अधिक व्याप्त होने पर भी प्रतिपदा का मान पूर्णिमा के कुलमान से कम होने के कारण भारत में जहां 6 मार्च के दिन सूर्यास्त सायं 06 बजकर 10 मिनट से पहले होगा वहा होलिका दहन 6 मार्च के ही दिन अन्यथा स्मृतिसार शास्त्रानुसार दूसरे दिन यानि 7 मार्च को करना शास्त्र सम्मत है। होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त 6 मार्च 2023 को शाम 6:26 बजे से लेकर 6:38 बजे तक है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि प्रदोष व्यापिनी भद्रा रहित पूर्णिमा में होलिका दहन होता है। पूर्णिमा सोमवार शाम 4.18 से शुरू होकर मंगलवार शाम 6.10 बजे तक रहने से प्रदोष व्यापिनी फाल्गुनी पूर्णिमा सोमवार को संपूर्ण भारत में विद्यमान रहेगी। जबकि पूर्वी भारत के कुछ राज्यों में पूर्णिमा 2 दिन प्रदोष व्यापिनी रहेगी।
सोमवार को ही शाम 4.18 बजे से भद्रा शुरू होने से जो अगले दिन सूर्योदय पूर्व सुबह 5.14 बजे तक रहेगी।शास्त्रों के अनुसार भद्रा मध्यरात्रि से आगे उषाकाल के नजदीक चली जाए तो होलिका पर्व भद्रा में प्रदोष काल में मनाया जाना चाहिए। राजस्थान में धुलंडी का पर्व 7 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा। सिटी पैलेस में होलिका दहन 6 मार्च हो है। गोविंददेव जी मंदिर में ठाकुर जी के समक्ष भक्त 6 मार्च को गुलाल होली खेलेंगे।
जयपुर में होलिका दहन शाम 6 बजकर 26 मिनट से 6 बजकर 38 मिनट तक करना सर्वेश्रेष्ठ रहेगा।