महापौर मुनेश गुर्जर ने खोला मोर्चा, कहा—अब बात हमारे मान—सम्मान और स्वाभिमान की
हेरिटेज महापौर सहित 50 पार्षद लामबंद,इस्तीफा सौंप कर अपनी ही सरकार को दी चेतावनी
चारों नेताओं की आपसी खींचतान के चलते जनता के हितों की बलि,विकास कार्य हो रहे ठप्प
हेरीटेज निगम में काम कर रहे अफसर भी खींचतान से परेशान,कुछ अफसर मंत्री—विधायकों की लड़ाई का उठा रहे फायदा
मतीष पारीक
जयपुर, 18 जून 2023 (न्याय स्तंभ) वैसे तो जयपुर नगर निगम में आयुक्त और महापौर की लड़ाई कोई नई बात नहीं है लेकिन अपनी ही सरकार से महापौर की लड़ाई पहली बार देखने को मिली है। नगर निगम जयपुर के दो टूकड़े होने के बाद पहली बार अस्तित्व में आए हेरिटेज नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड बना जिसको लेकर कांग्रेस सरकार और कांग्रेस के विधायक काफी खुश नजर आए लेकिन जब से यह बोर्ड बना है तबसे इस पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। भाजपा और निर्दलीय पार्षद ही नहीं जबकी खुद कांग्रेस के पार्षद भी बोर्ड के बारे में यही कहते नजर आते हैं की जाने कब ये बोर्ड गिर जाए। राज्य की कांग्रेस सरकार के पास बहुमत नहीं होने के कारण निर्दलीय पार्षदों से बड़े—बड़े वादे करके उनको साथ लेकर कैसे ना कैसे तो बोर्ड बनाया लेकिन अब उनकी आशा के अनुरूप कार्य नहीं होने से वे भी सरकार से खासे नाराज हैं। वहीं दूसरी और समितियां नहीं बनने से निर्दलीय पार्षद ही नहीं खुद कांग्रेस के पार्षद भी बगावत करने पर उतारू हैं।
अब जब सरकार पहले से ही पार्षदों की नाराजगी झेल रही है वहीं अब दूसरी परेशानी ने मुख्यमंत्री गहलोत को हस्तक्षेप करने पर मजबूर कर दिया है। कांग्रेस की महापौर मुनेश गुर्जर सहित करीब 50 से अधिक पार्षदोंं ने अधिकारियों पर जनता के कार्य नहीं करने और जनप्रतिनिधियों को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे सौंप दिए हैं। वहीं हेरीटेज नगर निगम महापौर कार्यालय के बाहर टैंट लगा कर वहीं धरना शुरू कर दिया है। महापौर मुनेश गुर्जर सरकार और शहरी मंत्रियों और विधायकों को साफ शब्दों में कह दिया है कि अब हमारी लड़ाई स्वाभिमान की,जनप्रतिनिधियों के मान—सम्मान की हो गई है अब जब तक हेरीटेज नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा का निलंबन नहीं होगा वे पार्षदों के साथ धरने पर बैठी रहेंगी।
शुक्रवार शाम को इस लड़ाई की शुरूआत तब हुई जब निगम के अतिरिक्त आयुक्त के साथ साइन नहीं करने की बात को लेकर पार्षदों और मेयर की जमकर बहसबाजी हुई और गुस्साए पार्षदों ने आयुक्त को कमरे में बंद कर दिया। वहीं महापौर मुनेश गुर्जर ने उन पर आरोप लगाया कि आयुक्त मनमानी करते हैं और अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं। गुर्जर ने वर्मा जनता के काम और सफाई जैसे मुद्दों को लेकर लगातार काम में भी ढिलाई बरत रहे हैं। जिससे शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो रही है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि ऐसे में अगर जल्द से जल्द सरकार ने अतिरिक्त आयुक्त को निलंबित नहीं किया तो उनके साथ नगर निगम के पचास पार्षद बोर्ड और पार्षद पद से इस्तीफा देंगे। हालांकि, इसके बाद देर शाम मेयर ने 50 पार्षदों के साथ अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया।
वहीं पार्षदों ने आरोप लगाया कि उनके इलाकों में पांच अस्थायी कर्मचारी दिए जाते हैं। इसके लिए अतिरिक्त आयुक्त के निर्देशन में गठित टीम टेंडर प्रकिया निकलने वाली थी। पार्षदों का आरोप है कि राजेन्द्र वर्मा पिछले 15 दिनों से टेंडर नोटशीट पर साइन नहीं कर रहे हैं। जबकि मानसून को देखते हुए कर्मचारियों की आवश्यकता है। 15 दिन बाद शुक्रवार को 50 पार्षद महापौर के पास गए और टेंडर नोटशीट पर साइन कराने की बात कही। इस पर महापौर ने अतिरिक्त आयुक्त वर्मा को अपने ऑफिस में बुलाया। लेकिन वर्मा नहीं आए तो सभी पार्षद उनके कक्ष में गए और उन्हें जबरन महापौर के कक्ष में ले आए। जहां वर्मा ने एक बार फिर साइन नहीं करने की बात कही।
साइन नहीं करने की बात को लेकर नाराज पार्षदों का गुस्सा ओर बढ़ गया तब उन्होंने राजेंद्र वर्मा को महापौर कक्ष में बंद कर दिया। हालांकि, इसके कुछ देर बाद मंत्री महेश जोशी मौके पर पहुंचे। जिसके बाद वर्मा महापौर के कमरे से निकल सके। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी ने वह निगम से देर रात घर के लिए रवाना हुए।
वहीं दूसरी और अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा ने अपनी सफाई में कहा कि उन्होंने कोई अभद्र भाषा का उपयोग नहीं किया। वर्मा ने कहा कि मैंने नहीं बल्कि कुछ पार्षदों ने मेरे साथ बदतमीजी की है। पार्षद जिस नोट शीट पर मेरे साइन करवाना चाहते हैं। उस पर फिलहाल कमेटी का निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में कमेटी के निर्णय के बाद ही इस पर साइन करूंगा।
मंत्रियों और विधायकों ने रोका शहर का विकास
करीब ढाई साल हो गए अभी तक सरकार के मंत्री और कांग्रेस के विधायकों की आपसी खींचतान का दुष्परिणाम जयपुर शहर की जनता को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि मंत्री और विधायक अपने—अपने लोगों को हेरीटेज निगम में अधिकारी बनाकर लेकर आते हैं लेकिन दूसरा मंत्री या विधायक उसकी टांग खिंचाई करने के लिए शहर के विकास की बलि चढ़ा देता है। जी हां हम बात कर रहे हैं मंत्री महेश जोशी,प्रताप सिंह खाचारियावास, विधायक रफीक खान और अमीन कागजी की जिनकी हठधर्मिता के कारण आज तक ना तो समितियां ही बनीं और ना ही स्मार्ट सिटी में कुछ भी स्मार्ट हुआ। जगह—जगह पड़े कचरे के ढेर और खुदी हुई सड़कें इसकी गवाही देती है।
इन सबके बीच महापौर मुनेश गुर्जर अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है।उनका आधा समय तो चारों नेताओं को मनाने में निकल गया। माननीयों की आपसी खींचतान में ढाई साल में कितने अफसर यहां से इधर—उधर हुए। और कितने ही अफसर माननीयों की छत्रछाया में नगर निगम को खोखला करने में लगे हुए हैं। इन सबमें महापौर मुनेश गुर्जर नगर निगम को संभाले या फिर नए अधिकारियों के साथ तारतम्य बैठाकर शहर के विकास के बारे में सोचे।
भाजपा पार्षद तो महापौर मुनेश गुर्जर को मोम की गुडिया कहने से भी नहीं चुकते हैं।भाजपा के नेताओं का कहना है कि महापौर चारों नेताओं के बीच में फंस कर रह गई है। वे अपनी कुर्सी बचाए या फिर इन सबको मनाने में बाकी बचा हुआ कार्यकाल भी निकाल दे।
बाकी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की कांग्रेस का बोर्ड बचेगा या फिर बिगड़ेगा लेकिन इन सबके बीच ये बात तो तय है कि कांग्रेस के चारों नेताओं ने जनता के हितों की बलि चढ़ा दी है। जिस जनता ने उनको जिता कर विधानसभा में भेजा अब वही अपने अहंकार के चलते जनता के प्रति उनके कर्तव्यों को निभाने में नाकाम रहे हैं। लेकिन जनता का यह भी कहना है कि वापस नेताजी को उनके सामने की वोट मांगने आना है तब सबक सिखा देंगे।
अब बात हमारे मान—सम्मान और स्वाभिमान की है,अधिकारियों द्वारा जनप्रतिनिधियों का अपमान सहन नहीं किया जाएगा। हमने मुख्यमंत्री गहलोत और यूडीएच मिनिस्टर शांति धारीवाल तक अपनी बात पहुंचाई है हमको पूरा विश्वास है कि हमारी मांग पर सुनवाई होगी। और तुरंत प्रभाव से राजेन्द्र वर्मा को निलंबित किया जाएगा।
मुनेश गुर्जर,महापौर, हेरीटेज नगर निगम,जयपुर
हमने महापौर, पार्षदों और अधिकारी से बात की है दोनों के बीच में जो भी विवाद है वो जल्द ही सुलझा दिया जाएगा। महेश जोशी,जलदाय मंत्री
ये हमारे परिवार का मामला है, सारे पार्षद मेरे परिवार के सदस्य है। हम चारों विधायक बात करके मामले को सुलझाएंगे। पार्षदों की समस्याओं का समाधान करेंगे। लेकिन सरकार के प्रतिनिधि हमारे पार्षद धरने से बचें। हमारे बीच में कोई टकराव नहीं हैं।धरना मेरे से पूछ कर नहीं दिया। ये इतना बड़ा इश्यू नहीं हैं कि इसको लेकर धरना दिया जाए। मेरे पास कोई पार्षद नहीं आया उन्होंने क्या आरोप लगाया वो मेरी जानकारी में नहीं है। केवल मेरे पास अधिकारी ही आया था वो ही बता कर गया।
प्रताप सिंह खाचारियावास, खाद्य मंत्री