आरपीएससी का अगला अध्यक्ष कौन ?

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ब्राह्मण या राजपूत को मिल सकती है कमान !

जयपुर। 2 जनवरी 2025 (न्याय स्तंभ) राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों को दौर नए साल में फिर से शुरू होने वाला है। भाजपा के कार्यकर्ताओं और रिटायर्ड अधिकारियों के साथ ही बड़े पदों पर बैठे अधिकारी भी इस दौड़ में शामिल हो रहे हैं। सभी अपनी-अपनी जुगत लगाने के लिए सिफारिशें और मेल-मिलाप बढ़ाने में लग गए हैं। इसी क्रम में पिछले कई सालों से विवादों में रही आरपीएएसी के चैयरमेन पद के लिए भी कई लोगों ने दौड़-भाग करना शुरू कर दिया है। कई लोग अपने संघ से रिश्तों और भाजपा के बड़े राजनेताओं के भरोसे पद पाने के लिए आशान्वित हैं। सूत्रों की माने तो इस पद पर अब किसी स्वच्छ और बेदाग छवि वाले व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी जिसका की किसी राजनीतिक दल और अधिकारी वर्ग से लेना-देना नहीं हो।

संघ लोक सेवा आयोग में अध्यक्ष पद के लिए वैसे तो कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। लेकिन राजनीतिक गलियारों में तीन नामों की भारी चर्चाएं हो रही हैं।जिनमें दो संघनिष्ठ लोगों का नाम है और एक राजस्थान के बड़े अधिकारी हैं। सूत्रों से मिली अहम जानकारी के अनुसार सबसे पहला नाम प्रदीप शेखावत का चल रहा है जो कि वर्तमान में हरियाणा सरकार में सूचना आयुक्त के पद पर काम कर रहे हैं। शेखावत राजस्थान में वरिष्ठ पत्रकार रहे हैं । जिन्होंने पत्रकारिता क्षेत्र में बड़ा नाम कमाया है। संघ पृष्ठभूमि से जुड़े होने के कारण ही शेखावत को हरियाणा सरकार में इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। उनको वहां मंत्री का दर्जा दिया गया है।

सियासी हलको में चर्चा है कि दूसरे दावेदार के रूप में प्रदीप शेखावत के भाई लोकेश शेखावत का नाम प्रमुखता से चल रहा है। लोकेश शेखावत जयनारायण विश्विविद्यालय के पूर्व कुलपति रह चुके हैं। उन्होंने करीब 6 वर्ष पूर्व भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। शेखावत उसी समय से भाजपा के लिए लगातार कार्य करते आ रहे हैं।

राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी चल रही है कि अगर दोनों भाइयों में से किसी एक को इस पद पर नियुक्ति दी जाती है तो संगठन स्तर पर विरोध होने की संभावना है। लोगों का कहना है कि भाजपा के लिए कई लोग जी जान से जुटे हुए हैं उनको आगे बढ़ाना चाहिए ना कि एक ही परिवार को ही उपकृत करने का काम करना चाहिए।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरपीएससी चैयरमेन पद के लिए राजस्थान सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में निदेशक सुनील शर्मा का नाम भी चर्चाओं में जोरों से चल रहा है। हालांकि सुनील शर्मा की पारिवारिक पृष्ठभूमि खांटी कांग्रेसी की रही है। उनके एक पारिवारिक सदस्य अशोक गहलोत सरकार में सलाहकार के पद कार्य कर चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि सुनील शर्मा गहलोत राज में हमेशा प्राइम पोस्टों पर रहे हैं। वहीं ब्राह्मण होने के नाते उनका नाम कुछ संगठनों द्वारा भी चर्चा में लाया जा रहा है। लेकिन संगठन के लोगों को जब से इस बात की जानकारी लगी है तो अंदरखाने विरोध होने लगा है। कार्यकर्ताओं का कहना है की सुनील शर्मा का भाजपा या आरएएस से कभी कोई नाता ही नहीं रहा। उनका कहना है कि वे गहलोत राज में मलाईदार पोस्टों पर रहे और अभी भी महत्वपूर्ण पद पर बैठे हैं। तो ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ताओं का क्या होगा।

अब कौन अध्यक्ष बनेगा ये तो सब समय के गर्त में छिपा है लेकिन ये बात तो तय है कि कार्यकर्ता हमेशा ठगा सा महसूस करता है। क्योंकि सरकारें आती है जाती है और अपने खास लोगों को उपकृत कर जाती है। कार्यकर्ता का काम केवल दरी उठाना, धरने-प्रदर्शन करना, पार्टी के कार्यक्रमों को जनता के बीच लेकर जाने का ही है। बाकी मलाई खाने दूसरे लोग जो कभी कोई काम नहीं करते लेकिन ऊपर वालों के खास होने का फायदा उठा जाते हैं।



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