(न्याय स्तंभ में सुनी सुनाई)
राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल की सुगबुगाहट अब “खिचड़ी” का रूप ले चुकी है और वो भी तेज आंच पर!
कई दिनों से चल रही यह राजनीतिक रसोई तब और गर्म हो गई जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दिल्ली दरबार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डेढ़ घंटे की लंबी मुलाकात की। अब भला कौन सी मुलाकात इतनी लंबी होती है जिसमें बस चाय पी जाए?
सूत्र कहते हैं—बातें ज़रा तगड़ी हुई हैं!
बताया जा रहा है कि पीएम और सीएम के बीच राजस्थान के कई “सिरदर्द” विषयों पर खुलकर चर्चा हुई। सबसे बड़ा मसला था, सत्ता और संगठन में तालमेल की कमी, यानी सरकार एक दिशा में जा रही है और संगठन दूसरी में। अब खबर ये भी है कि सीएम ने पीएम से प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ को लेकर भी चर्चा की। चर्चा क्या थी, ये तो नहीं पता, पर सूत्र फुसफुसा रहे हैं कि “मदन जी का कार्यकाल सीएम साहब के दिल को रास नहीं आ रहा। कहा जा रहा है कि इतने समय में न तो संगठन में पकड़ बन पाई, न कार्यकारिणी बनी, और अब तो माहौल कुछ ‘रिप्लेसमेंट’ जैसा लग रहा है।
वैसे ये भी सुनने में आया है कि पीएम ने भी सीएम को हल्का सा “फीडबैक” दे दिया कि संगठन और सरकार दोनों को एक ही दिशा में चलना चाहिए, उलटी गाड़ी नहीं चलती।
अफसरों की सरकार या सीएम की?
राजस्थान में ये चर्चा कोई नई नहीं कि “यहां अफसर ही सब कुछ चलाते हैं, मंत्री तो बस फोटो खिंचवाते हैं। बताया जा रहा है कि पीएम ने इस मुद्दे पर भी सीएम से कड़ी बात की कि जनता को सरकार दिखनी चाहिए, फाइल नहीं।
पीएम की फटकार और मंत्रियों की कुर्सी पर मंडराता खतरा!
अब आती है वो बात जिस पर सबकी नज़र है , मंत्रिमंडल फेरबदल! सूत्रों का दावा है कि पीएम मोदी ने कुछ मंत्रियों के कामकाज पर नाराजगी जताई है। कुछ मंत्रियों के खिलाफ तो सीधी शिकायतें पीएमओ तक पहुंच गईं । कहा गया कि कई मंत्री जनता और कार्यकर्ताओं से मिलने तक को तैयार नहीं, कुछ तो ऑफिस से “बाहर जाने” का आदेश खुद देते हैं! पीएम ने reportedly कुछ नामों की “लाल लिस्ट” भी तैयार कर ली है — यानी “जो नहीं सुधरे, वो बाहर!
कौन-कौन है खतरे में?
अब बात आती है उन नामों की जिनकी कुर्सी पर हल्की-हल्की कंपकंपी शुरू हो गई है । सूत्रों के मुताबिक करीब एक दर्जन मंत्री हैं जिन पर फेरबदल की तलवार लटक रही है। जिसमें उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा, मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, अविनाश गहलोत, मदन दिलावर, जवाहर सिंह बेड़म का नाम सबसे ऊपर है। वहीं कई ऐसे मंत्री भी बताए जा रहे हैं जिन्हें “मंत्रालय से हटाकर संगठन या आयोग” में सेट करने की कवायद चल रही है , यानी “पद गया, पर इज्जत बची रहे!
वहीं चर्चा ये भी है कि उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी के विभाग में भी बदलाव की तैयारी है, हालांकि दिया कुमारी का परफॉर्मेंस “इमेज बिल्डिंग” के लिहाज से बेहतर माना जाता है, पर विभागों का फेरबदल तो राजनीति का स्थायी विषय है।
अब ये सब सुनी-सुनाई बातें हैं, पर कहां से सुनाई गईं, वो भी बड़े भरोसेमंद कानों ने सुनी हैं! कुल मिलाकर, राजस्थान की राजनीति में “फेरबदल की हवा” अब बस दस्तक देने वाली है। कब किसका नंबर आए, कौन बच जाए, और कौन बाहर का रास्ता देखे यह तो आने वाले कुछ दिनों में साफ होगा, फिलहाल इतना तय है कि जयपुर से दिल्ली तक फेरबदल की गूंज तेज़ हो चुकी है।



