BREAKING NEWS
Search

“पार्षद परेशान, फर्म पर मेहरबानी– नगर निगम का ‘न्याय’ देखिए जनाब!

193

बीट कर्मचारियों की तनख्वाह बनी सियासी दलदल: आखिर कौन करेगा पार्षदों की सुनवाई?

जयपुर, 21 जुलाई 2025 (न्याय स्तंभ)। नगर निगम हेरिटेज में जहां नगर निगम हेरिटेज के कांग्रेसी एवं निर्दलीय पार्षदों ने निगम प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलेते हुए अनदेखी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाएं हैं । वहीं बीट कर्मचारियों की नियुक्ति और भुगतान को लेकर शुरू हुआ विवाद अब गंभीर राजनीतिक मुद्दा बन चुका है।

पार्षदों का कहना है कि निगम बिना उनकी सहमति के कर्मचारियों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया में फर्म को लाभ पहुँचा रहा है, जबकि कर्मचारियों को अब तक पूरा वेतन नहीं मिला है। कई पार्षदों ने यह भी आरोप लगाया कि उन्होंने खुद की जेब से भुगतान कर बीट कर्मचारी लगाए हैं, लेकिन बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला।

पैसा आधा मिला, बाकी हवा में उड़ गया”

कई पार्षदों का कहना है कि उन्हें पूरा पैसा नहीं मिला — कुछ को आधा मिला तो कुछ को एक रुपया भी नहीं। कुछ तो ऐसे हैं जो फर्म की कार्यशैली पर भरोसा न होने के कारण अब तक कर्मचारी ही नहीं लगा पाए। यह स्थिति सवाल खड़ा करती है कि आखिर क्या जनसेवा अब पार्षदों की जेब से चलेगी?

आरोपों के घेरे में आई फर्म को क्यों मिला काम?

सूत्रों की मानें तो जब निगम एक था उस समय भी जिस फर्म को नगर निगम हेरिटेज ने वर्तमान में बीट कर्मचारियों की नियुक्ति का कार्य दिया है वह पहले भी विवादों में रही है। जब वह पहले ही काम ठीक से नहीं कर पाई तो सवाल यह है कि ऐसी फर्म को दोबारा मौका क्यों दिया गया? क्या यह महज “ऊपर से दबाव” का नतीजा है या फिर निगम की महिला मुखिया इस पूरे मामले से अंजान हैं?

कम मार्जिन में उठाया टेंडर, मंशा पर सवाल

जानकारी के अनुसार, यह फर्म बेहद कम मार्जिन में काम कर रही है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब लाभ की कोई संभावना नहीं थी तो फर्म ने यह टेंडर क्यों उठाया? क्या इसके पीछे कोई अंदरूनी या राजनीतिक लाभ की मंशा है?

पीएफ, ईएसआई और बिलों में भी गड़बड़ी का शक

कुछ पुराने पार्षदों ने फर्म पर यह भी आरोप लगाया है कि वह कर्मचारियों के PF और ESI में टालमटोल कर रही है। कुछ पार्षदों ने बताया कि उन्होंने अभी तक कोई कर्मचारी लगाया ही नहीं, तो फिर फर्म किस आधार पर बिल जमा कर रही है?

पार्षदों की चेतावनी: सात दिन में समाधान वरना आंदोलन

पार्षदों ने निगम के कुछ अधिकारियों पर भी मिलीभगत के आरोप लगाए हैं और चेतावनी दी है कि अगर सात दिन के भीतर समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन तेज किया जाएगा। अब देखने वाली बात यह है कि क्या नगर निगम इस सियासी दलदल से खुद को निकाल पाएगा या फिर हालात और बिगड़ेंगे?



न्याय की अवधारणा को सशक्त बनाने हेतु समाचार पत्र न्याय स्तम्भ के माध्यम से एक अभियान चलाया जा रहा है। आइए अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए आप भी हमारा साथ दीजिये। संपर्क करें-8384900113


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *