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“नेताजी जी की ये कैसी जनसुनवाई, अपने ही लोगों को फरियादी बना फ़ोटो खिंचवाई ” सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जनता को भी दिखाई !

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जयपुर, 18 अक्टूबर 2025(न्याय स्तंभ)। भाजपा की “जनसुनवाई” अब जनता के बीच नहीं, बल्कि कैमरे के सामने होती दिख रही है। पिछले दिनों राजस्थान भाजपा मुख्यालय से एक वरिष्ठ और प्रदेश स्तर के नेता जिनको मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का भी बेहद करीबी माना जाता है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें साझा करते हुए दावा किया कि यह जनसुनवाई थी। तस्वीरों में नेताजी आराम से कुर्सी पर बैठे हैं, आसपास कुछ लोग चर्चा करते नजर आ रहे हैं, सामने भाजपा का बोर्ड है और कैमरा भी पूरी तैयारी में। लेकिन जनता? कहीं नहीं!

अजब बात तो तब हुई जब नेताजी ने इन तस्वीरों को “जनसुनवाई” का नाम दे दिया, लेकिन जब इन तस्वीरों में बैठे लोगों के बारे में भाजपा कार्यालय के ही एक कर्मचारी से जानकारी ली गई, तो उसने हँसते हुए कई नाम गिना दिए और कहा, “अरे ये तो सब अपने ही हैं, जनता नहीं। इनमें से कुछ लोग पोस्टर विमोचन करवाने आए थे, और कुछ किसी कार्यक्रम का निमंत्रण देने।” अब ये तो हम नहीं कह रहे, भाजपा कार्यालय के कर्मचारी की कही बात हमने आपको बता दी है।

जब सोशल मीडिया पर जैसे ही ये तस्वीरें वायरल हुईं, लोगों ने नेताजी को घेर लिया। भाजपा कार्यालय में ही कोई कहने लगा जनसुनवाई में जनता कहां है? तो किसी ने कटाक्ष किया की ये जनसुनवाई नहीं, ये तो जन दिखाई है।” कुछ ने तो इसे भाजपा की “कैमरा पॉलिटिक्स” का नया उदाहरण तक बता दिया।

जनता का कहना है कि अब “जनसुनवाई” का मतलब जनता से सुनना नहीं, बल्कि अपने कार्यकर्ताओं को बैठाकर सुनने का नाटक रचना रह गया है। नेताजी की ये तस्वीरें इस बात की मिसाल हैं कि अब पार्टी में असली सुनवाई नहीं, बस दिखावा बाकी रह गया है।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता जो कि अब कार्यालय के आसपास ही चक्कर लगाते रहते हैं और पुराने दिनों को याद करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे भी भाजपा में अब जनसुनवाई जैसी परंपराएं मानो खत्म सी हो गई हैं। एक समय था जब प्रदेश कार्यालय में मंत्री और वरिष्ठ पदाधिकारी बाकायदा जनता से मिलते थे, समस्याएं सुनते थे, समाधान के निर्देश देते थे। आम लोग दूर-दराज़ से अपनी शिकायतें लेकर पार्टी दफ्तर आते थे। लेकिन अब वो दृश्य नदारद हैं। अब नेताओं के पास जनता की सुनवाई का समय नहीं, बस सोशल मीडिया पर अपनी फोटोसुनवाई के लिए पूरा वक्त है।

कुल मिलाकर जनता अब यही कह रही है कि भाजपा की जनसुनवाई में जनता नहीं, बस अपने ही लोग होते हैं जिनकी भी सुनवाई नहीं होती बस केवल उनको दिखावे के लिए बिठा दिया जाता है।

नोट-नेताजी के सोशल मीडिया हैंडल से हमने तस्वीरें सुरक्षित रख ली है। ये भाजपा कार्यालय में खड़े लोगों से बातचीत कर बनाई गई खबर है।



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