जयपुर, 11 अक्टूबर 2025 (न्याय स्तंभ)। नगर निगम हेरिटेज की कार्यशैली पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। किशनपोल ज़ोन में 14 इमारतों और दुकानों को बिना सक्षम स्वीकृति व अवैध निर्माण बताकर सीज करने का आदेश जारी किया गया है।
लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जब ये निर्माण हो रहे थे, तब निगम की नजर क्यों नहीं पड़ी? क्या नगर निगम के पास गश्ती करने वाला ज़मीनी अमला नहीं है, जो रोज़ाना इन क्षेत्रों में निरीक्षण करता हो?
अब जनता पूछ रही है कि वही अमला जो सड़कों पर ठेले और छोटी दुकानों को हटाने में तेज़ी दिखाता है, बड़े निर्माणों पर क्यों चुप रहता रहा। अवैध निर्माण की शिकायतें पहले से लगातार मिलती रही हैं, लेकिन तब निगम की कानों में जूं तक नहीं रेंगी। अब जब इमारतें बनकर तैयार हो गई हैं, तो सीज का आदेश जारी कर ‘एक्शन’ का नाटक रचा जा रहा है।
आयुक्त निधि पटेल की ‘ड्रोन निगरानी’ पर जनता का तंज
हाल ही में आयुक्त डॉ. निधि पटेल ने ड्रोन से सर्वे कर अवैध निर्माण और सफाई व्यवस्था पर “पैनी निगाह” रखने की बात कही थी। लेकिन सवाल ये उठता है कि
क्या आयुक्त को अपने ही अधिकारियों और कर्मचारियों पर भरोसा नहीं रह गया? क्या निगम की हालत इतनी खराब है कि हर काम के लिए ड्रोन का सहारा लेना पड़े?
जनता का कहना है कि आयुक्त अब ज़मीन से ज़्यादा आसमान में दिलचस्पी ले रही हैं। ड्रोन उड़ाने से पहले अगर निगम दफ्तरों में फाइलों और कर्मचारियों पर निगरानी रखे, तो शहर की आधी समस्या वहीं खत्म हो सकती है। उनका कहना है कि ये अफसोस की बात है कि जयपुर के ऊपर ड्रोन तो उड़ रहा है, पर नीचे अवैध निर्माण दिन-ब-दिन बढ़ रहे हैं।
मंत्री किरोड़ी मीणा की राह पर चल पड़ी आयुक्त
अब जनता का ये भी कहना है कि आयुक्त निधि पटेल भी किरोड़ी लाल मीणा की राह पर हैं, बस फर्क इतना है कि वो ड्रोन से बारिश नहीं, कार्रवाई करवाने का सपना देख रही हैं। उनका कहना है कि कहीं ये प्रयोग भी किरोड़ी मीणा के ‘ड्रोन से बारिश’ की तरह नाकाम न हो जाए, जहां करोड़ों खर्च कर नतीजा ‘शून्य’ निकला था।
बड़े निर्माणों पर बड़े सवाल, कार्रवाई कब?
चौंकाने वाली बात यह है कि की चौड़ा रास्ता में बन रहे पगड़ीबन्ध हाउस, खजाने वालों के रास्ते में तीन मंजिला इमारत, नाहरगढ़ रोड पर सैकड़ों साल पुरानी हवेली को तोड़कर नया निर्माण। क्या ये सभी बड़े निर्माण निगम और आयुक्त की नज़रों से अब तक बच गए। सवाल यह नहीं कि सीज की कार्रवाई क्यों हुई, सवाल यह है कि इतने बड़े निर्माणों के दौरान निगम की आंखें बंद क्यों थीं? जयपुर की हेरिटेज धरोहर की रक्षा का दावा करने वाला नगर निगम आज खुद इस विरासत का “मूक दर्शक” बन गया है। जनता का कहना है कि ड्रोन उड़ाने से पहले शायद निगम को ज़मीन पर उतरकर अपनी नीतियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए।
किशनपोल जोन के इन निर्माणों पर चला निगम का डंडा
हेरिटेज नगर निगम आयुक्त निधि पटेल ने 14 अवैध मकानों और दुकानों को सीएजी करने का आदेश दिया है। जिसमें निगम के अनुसार त्रिपोलिया बाजार, एम.आई. रोड और रामगंज क्षेत्र में प्रमुख रूप से निर्माण कर्ता बेख़ौफ़ निर्माण कर रहे हैं। यानी शहर के बीचोंबीच। सवाल यह है कि जहां रोजाना निगम के निरीक्षक घूमते हैं, वहां पूरा मकान खड़ा हो गया और किसी को भनक तक नहीं लगी।



