जयपुर।16 जून 2025 (न्याय स्तंभ) इस समय आकाश मंडल में एक विशेष ज्योतिषीय संयोग बन रहा है। सिंह राशि में मंगल और केतु का मिलन हो चुका है। मंगल ग्रह 7 जून 2025 को सिंह राशि में प्रवेश कर चुके हैं, जबकि केतु पहले ही 18 मई को इसी राशि में आ चुके थे। दोनों की युति का पहला चरण 7 जून से 28 जून 2025 तक रहेगा। इसके बाद भी 28 जुलाई तक मंगल सिंह राशि में ही रहेंगे।
क्यों अशुभ मानी जाती है ये युति?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मंगल और केतु दोनों उग्र स्वभाव के ग्रह हैं। जब ये अग्नि तत्व की राशि सिंह में मिलते हैं तो घटनाओं, दुर्घटनाओं और हिंसात्मक प्रवृत्तियों की संभावना बढ़ जाती है। इस युति को ‘अंगारक योग’ कहा जाता है, जो जातक की कुंडली में कई समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
मंगल-केतु की युति के दुष्परिणाम
- क्रोध व चिड़चिड़ापन
ऐसे व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करते हैं, स्वभाव असंतुलित होता है। - छोटे भाई से संबंधों में खटास
विचारों में मतभेद, वाद-विवाद, दूरी बढ़ सकती है। - हड्डी, रक्त व पाचन से जुड़ी समस्याएँ
कब्ज, बवासीर, भगंदर, सिरदर्द जैसी परेशानियां। - प्रॉपर्टी विवाद
संपत्ति के मामलों में झगड़े व मुकदमेबाजी के योग। - चोट-एक्सीडेंट का खतरा
अचानक दुर्घटनाओं की आशंका, वाहन चलाते समय विशेष सावधानी जरूरी।
दोष निवारण के उपाय
मंगल ग्रह के लिए
- प्रतिदिन ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ मंत्र का जाप।
- प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी का व्रत, हनुमान चालीसा का पाठ।
- हनुमान मंदिर जाकर चोला चढ़ाना, मीठा पान व ध्वज अर्पित करना।
- तीन मुखी रुद्राक्ष धारण (कुंडली देखकर)।
- मंगल गायत्री मंत्र का जाप :
‘ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि तन्नो भौमः प्रचोदयात्’
केतु ग्रह के लिए
- प्रत्येक बुधवार कुत्ते को दूध-ब्रेड खिलाना।
- गणेश जी पर बेसन के लड्डू अर्पित करना।
- प्रतिदिन पक्षियों को सातनाज या दाना-पानी देना।
सामूहिक सुझाव व धर्माचार
- शिवजी का जलाभिषेक करें।
- परिवार में बुजुर्गों का सम्मान, साधु-संतों को प्रणाम।
- शनि देव को शनिवार को तैलाभिषेक करें।
- राजकीय नियमों का पालन : हेलमेट, पोल्यूशन टेस्ट।
- सनातन धर्म की परंपराओं का पालन करें, अतिथि को जलपान कराएं।
- अपने कुल देवी-देवताओं का ध्यान रखें।
जैसे — सिन्धी समाज झूलेलाल जी, पंजाबी माता वैष्णो देवी, गिरीराज महाराज, श्री राधा गोविन्द जी।
विशेष सतर्कता
- अनावश्यक यात्रा से बचें।
- सामूहिक यात्राओं में पहले बुजुर्गों को भेजें।
- क्रोध पर नियंत्रण, क्षमा भाव रखें।
- कार्यालय में सहकर्मियों के साथ मधुर व्यवहार।
निष्कर्ष
मंगल-केतु की यह युति स्वभाव में उग्रता, पारिवारिक खटपट और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ा सकती है। परंतु धार्मिक आचरण, संयम और उचित उपायों से इन प्रभावों को न्यून किया जा सकता है। हनुमान जी की कृपा और शिवजी का आशीर्वाद ही इस कठिन समय में रक्षा करेंगे।