जयपुर 14 जुलाई 2025(न्याय स्तंभ)। राजधानी जयपुर में महापौर कुसुम यादव द्वारा आयोजित की गई भव्य जीमनार अब विवादों में घिर गई है। राजपरिवार की परंपरा को फिर से जीवंत करने के नाम पर रखे गए इस आयोजन में ऐसी अव्यवस्था सामने आई कि गोविंद देव जी के हजारों भक्त भूखे ही लौटने को मजबूर हो गए।
50 हजार लोगों के भोजन का दावा, लेकिन थालियों में सन्नाटा
आयोजकों ने दावा तो किया था कि 50 हजार श्रद्धालुओं के लिए भव्य भंडारे की व्यवस्था की गई है, लेकिन हकीकत यह रही कि लोग घंटों कतारों में खड़े रहे और आखिरकार खाली हाथ लौटना पड़ा। नाराज श्रद्धालुओं ने कहा — “नकल में भी अक्ल की जरूरत होती है।”
आखिर ये कैसा आयोजन, कहां गया पैसा?
अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इस कार्यक्रम का बजट कहां से आया, किसने खर्च किया और आखिर इससे फायदा किसका हुआ? लोगों का आरोप है कि इस आयोजन में जो पैसा खर्च हुआ, उसमें अवैध निर्माण और भूमाफियाओं का हाथ है। यही वजह रही कि इतनी अव्यवस्था हुई और प्रशासन बौना साबित हुआ।
महापौर को क्या मिला इस आयोजन से?
शहरवासी पूछ रहे हैं कि महापौर कुसुम यादव ने आखिर इस जीमनार की रूपरेखा क्यों तैयार की? क्या राजनीतिक लाभ की उम्मीद थी? क्या किसी दबाव में लिया गया फैसला? जनता अब इस कार्यक्रम के पीछे की सच्चाई जानना चाहती है।
आयोजक अभी भी मानने को तैयार नहीं।
दिलचस्प बात ये है कि आयोजन की नाकामी के बावजूद आयोजक मानने को तैयार नहीं हैं कि व्यवस्था फेल हुई। जबकि सोशल मीडिया पर लोग इस जीमनार को ‘फर्जी आयोजन’ और ‘पैसे का खेल’ बता रहे हैं।
जनता का गुस्सा चरम पर।
भक्तों ने आयोजकों को जमकर खरी-खोटी सुनाई और कहा कि इस तरह के दिखावटी आयोजन की आड़ में न जनता का भला होता है, न भगवान का। लोग मांग कर रहे हैं कि इस आयोजन में हुए खर्च और फंडिंग की पूरी जांच हो।
अब बड़ा सवाल — जिम्मेदार कौन?
इतना सब कुछ होने के बाद भी नगर निगम और महापौर कुसुम यादव की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं आया है। अब सवाल लाजमी है — इस फेल जीमनार का जिम्मेदार कौन है?
जयपुर की जनता जवाब मांग रही है।