मतीष पारीक
जयपुर, 17 सितंबर 2025 (न्याय स्तंभ)। इंदिरा गांधी नगर विस्तार योजना किसानों के लिए अब तक सबसे बड़ा धोखा साबित हो रही है। हाउसिंग बोर्ड ने किसानों से 1257 बीघा जमीन तो अधिग्रहित कर ली, लेकिन 10 साल बाद भी किसानों को उनका हक नहीं दिया।
क्या है इंदिरा गांधी नगर विस्तार योजना?
साल 2014 में दांतली और आसपास के गांवों की 314 हेक्टेयर जमीन पर हाउसिंग बोर्ड ने योजना बनाई। नियम के मुताबिक किसानों को 20% आवासीय और 5% वाणिज्यिक पट्टे मिलने थे। लेकिन हक दिलाने के बजाय हाउसिंग बोर्ड ने किसानों को सिर्फ झूठे आश्वासन और खोखले वादे थमा दिए।
किसानों से किया वादा, फिर मुकरा बोर्ड
जिस जमीन पर किसान पीढ़ियों से खेती कर परिवार पालते थे, उसी जमीन को हाउसिंग बोर्ड ने विकास के नाम पर छीन लिया। लेकिन बदले में वादा किए गए पट्टे आज तक जारी नहीं किए। किसान मजबूर होकर भटक रहे हैं और उनके सपने धीरे-धीरे मिट्टी में मिलते जा रहे हैं।
2 साल से एलएनसी बैठक ही नहीं हुई
पट्टों के लिए बनी एलएनसी (लैंड नेगोशिएशन कमेटी) की बैठक पिछले दो साल से भी अधिक समय से नहीं हुई। यह वही कमेटी है, जिसमें किसानों के हक पर फैसला होना था। सवाल ये है कि हाउसिंग बोर्ड और यूडीएच अधिकारी आखिर किसके दबाव में किसानों की समस्याओं को टाल रहे हैं?
लॉटरी सिस्टम लागू करने की तैयारी में सरकार
सरकार ने हाल ही में आदेश जारी कर कहा कि किसानों को वाणिज्यिक पट्टे अब लॉटरी सिस्टम से दिए जाएंगे। यह आदेश किसानों पर दूसरा अन्याय है। किसानों का साफ कहना है कि जब जमीन सीधे अधिग्रहित हुई है, तो पट्टे भी सीधे मिलने चाहिए।
बोर्ड और रेलवे के विवाद में पिस रहा किसान
हाउसिंग बोर्ड का एक और तर्क है कि योजना की कुछ जमीन रेलवे ने अधिग्रहित कर ली और मुआवजे का विवाद चल रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस विवाद की कीमत किसानों को चुकानी होगी?
अधिकारियों का एक ही जवाब, जल्द होगा समाधान
आज हालत यह है कि हाउसिंग बोर्ड ने अब तक सिर्फ एक तिहाई पट्टे जारी किए हैं। बाकी किसान “जल्द समाधान होगा” जैसे बहानों के चक्कर में सालों से फंसे हुए हैं। किसान अब चेतावनी दे रहे हैं कि अगर जल्द फैसला नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। उनका कहना है कि हमारा रोजगार खत्म हो गया, हम सब सड़क पर आ गए लेकिन सरकार के कानों तक जूं तक नहीं रेंग रही।
वहीं इस मामले में हाउसिंग बोर्ड के चीफ इंजीनियर (प्रथम) अमित अग्रवाल का कहना है कि इस योजना की कुछ जमीन रेलवे ने अधिग्रहित कर ली है, जिससे मुआवजे का विवाद चल रहा है। सरकार की ओर से हाल ही में कुछ नए आदेश जारी हुए हैं। किसानों की समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा और जल्द ही सभी पात्र किसानों को पट्टे जारी कर दिए जाएंगे।