महापौर कुसुम यादव और आयुक्त डॉ निधि पटेल भी कठघरे में !
जयपुर, 08 सितंबर 2025(न्याय स्तंभ)। जयपुर हेरिटेज नगर निगम में करोड़ों की सरकारी जमीन फर्जी पट्टों के जरिए बेच दी गई, लेकिन सबसे बड़ा सवाल अब भी वहीं खड़ा है—आखिर कब होगी FIR?
भाजपा चेयरमैन उत्तम शर्मा और 20 से ज्यादा पार्षदों ने करीब 15 दिन पहले निगम मुख्यालय पर जमकर हंगामा किया और धरना दिया। उनके आरोप सीधे महापौर कुसुम यादव और आयुक्त डॉ. निधि पटेल की ओर इशारा करते हैं। पार्षदों का कहना है कि जब सरकारी जमीन पर गलत पट्टों के जरिए 100 करोड़ तक का खेल हो चुका है, तो महापौर की चुप्पी अपने आप में सबसे बड़ा सबूत है। यादव पर आरोप है कि उन्होंने भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दिया और पूरे मामले को दबाने की कोशिश की। सवाल यह है कि जिस महापौर पर ही आरोप लगे हों, वह कार्रवाई कैसे करेंगी?
वहीं, आयुक्त डॉ. निधि पटेल भी अब जनता के सवालों के घेरे में हैं। जांच में जिन पट्टों में गड़बड़ी है वो पट्टे पकड़ में आ चुके हैं, अधिकारी निलंबित हो चुके हैं, लेकिन FIR का नाम तक नहीं लिया जा रहा। पटेल से जनता यही सवाल पूंछना चाह रही है कि क्या वे सचमुच कार्रवाई करना चाहती हैं या फिर किसी “ऊपर की सहमति” का इंतजार कर रही हैं? आखिर किस दबाव में पुलिस में मुकदमा दर्ज नहीं कराया जा रहा? वहीं एक पार्षद ने तो यहां तक कह दिया की जब सरकार और निगम प्रशासन ने मान लिया की फर्जी पट्टे जारी किए गए हैं तो कार्रवाई में देरी क्यों हो रही है।
वहीं सरकार दूसरी ओर शहर चलो अभियान की बड़ी-बड़ी बातें कर रही है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा यह दावा कर रहे हैं कि फर्जी पट्टों पर मुकदमे दर्ज होंगे और जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी। लेकिन जयपुर की जनता पूछ रही है—मंत्री जी किसका इंतजार कर रहे हैं? जब राजधानी में खुलेआम भ्रष्टाचार की पोल पार्षद ही खोल रहे हैं, तब भी FIR न होना क्या इस बात का सबूत नहीं कि रसूखदारों को बचाने की कोशिश चल रही है?
हकीकत यह है कि जयपुर हेरिटेज नगर निगम में जनता का भरोसा डगमगा चुका है। महापौर हों या आयुक्त, दोनों की चुप्पी और सरकार की खामोशी यही साबित करती है कि भ्रष्टाचारियों को बचाने का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। अब जनता और पार्षदों का सवाल उठना लाजमी है कि आखिर कब टूटेगा यह सन्नाटा और कब दर्ज होगी FIR?