विजिलेंस शाखा खुद की जांच में उलझी, करोड़ों का नुकसान, प्रशासन मौन
जयपुर। 7 अगस्त 2025 (न्याय स्तंभ)। नगर निगम हेरिटेज से जुड़ी एक गंभीर और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार, निगम की विजिलेंस शाखा अब उन्हीं फाइलों की दोबारा जांच कर रही है, जिनकी जांच पहले उसी शाखा के अधिकारियों द्वारा की गई थी। यानी अब जांचकर्ता ही जांच के दायरे में आ चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि वर्षों से अनुकंपा नियुक्तियों से जुड़े कई मामलों में भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। इनमें से कई शिकायतें लंबे समय से निगम कार्यालयों में लंबित पड़ी हुई हैं, जिन पर कोई स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया।
न्याय स्तंभ की पड़ताल में सामने आए कुछ अहम मामले:
एक मामला सामने आया है जिसमें एक महिला को अपनी मां की अनुकंपा पर नौकरी दी गई, जबकि वह शादीशुदा है और उसका पति पहले से ही नगर निगम में कार्यरत है।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या विवाहिता महिला को अनुकंपा का अधिकार मिल सकता है, जब परिवार में पहले से ही एक सदस्य निगम में कार्यरत हो?
कुछ शिकायतें ऐसी भी हैं जिनमें तथ्यों को छिपाकर नौकरी प्राप्त की गई, लेकिन इसके बावजूद आज तक कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई।
एक ही महिला के नाम पर दो-दो पेंशन उठाए जाने की शिकायतें भी लंबित हैं, लेकिन निगम प्रशासन ने अब तक कोई गंभीर कदम नहीं उठाया।
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि उन्होंने वर्षों तक निगम कार्यालयों के चक्कर लगाए, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला, कार्रवाई नहीं।
अब सवाल उठता है कि…
जब पहले इन्हीं विजिलेंस अधिकारियों ने जांच की थी, तो अब वही उनकी पुनः जांच कैसे कर सकते हैं?
क्या निगम के अंदर एक सुनियोजित तंत्र काम कर रहा है जो नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियों और पेंशन में खेल कर रहा है?
करोड़ों रुपये के सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग के बावजूद सरकार और नगर निगम प्रशासन अब तक चुप क्यों है?