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हेरिटेज निगम में उगे आदेशों के पौधे, सरकार का अभियान बना कागज की नाव!

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जयपुर, 23 जुलाई 2025 (न्याय स्तंभ)। राजस्थान सरकार ‘हरियालो राजस्थान महाअभियान’ के तहत प्रदेश को हरियाली की सौगात देना चाह रही है, लेकिन राजधानी जयपुर का नगर निगम हेरिटेज इस महाअभियान की रफ्तार को ब्रेक लगाए बैठा है। निगम की उद्यान शाखा की लापरवाही और चर्चाओं में रहने वाली उपायुक्त मोनिका सोनी के आदेशों ने पूरे सिस्टम को ऐसा उलझा दिया है कि पौधारोपण अब अभियान नहीं, अफसरशाही का पेचीदा फार्म बनकर रह गया है।

अब तक सिर्फ 400–500 पौधे, वो भी ‘फॉर्मल हरियाली’ में उलझकर!

जानकारी के अनुसार, अब तक निगम सिर्फ 400 से 500 पौधे ही वितरित कर सका है। वो भी तब, जब पार्षदों को पहले फॉर्म भरना पड़ा, फिर उद्यान शाखा से साइन करवाने पड़े, और फिर अपने खर्चे और साधन से पौधे उठाकर जनता में बांटने के निर्देश मिले। यानी जनता को पौधे देने के लिए पार्षदों को ही ‘गुलामी की शर्तें’ माननी पड़ीं।

वादा किया था 100-100 पौधे भेजने का, पर आया कुछ नहीं!

जब कई पार्षदों ने खुद पौधे लाने से इनकार किया, तो निगम अधिकारियों ने कहा था – “हम हर पार्षद के यहां 100-100 पौधे पहुंचा देंगे।” लेकिन हकीकत ये है कि आज तक किसी को एक भी पौधा नहीं मिला! अब ये नगर निगम के अधिकारी ही जानें कि ऐसा कौन-सा ‘हराभरा राज़’ है जिससे इस बार वितरण कार्यक्रम पनप ही नहीं पाया।

5 रुपये के पौधे! अब हरियाली भी बिक रही है?

कुछ पार्षदों का आरोप है कि कुछ इलाकों में पौधों के बदले ₹5 वसूले जा रहे हैं। सवाल यह है कि जब सरकार खुद मुफ्त पौधे देने की योजना चला रही है, तो निगम में ये ‘हरियाली टैक्स’ किस आधार पर?

फोन किया तो चुप्पी, मैसेज किया तो अधिकारी का नंबर

जब इस व्यवस्था पर जवाब मांगने के लिए उपायुक्त मोनिका सोनी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने फोन उठाना भी जरूरी नहीं समझा। मैसेज के जवाब में सिर्फ अधिकारी छाजू सिंह का नंबर भेजा गया — जैसे जिम्मेदारी का ठीकरा वहीं फोड़ा जा रहा हो।

अंदरखाने की बात – अधिकारियों का भी मन नहीं भीग रहा!

उद्यान शाखा के सूत्रों का कहना है कि “इस बार हरियाली ज़मीन पर दिख रही है, इसलिए किसी को पौधे लगाने की जरूरत महसूस नहीं हो रही।” यानी इस बार सावन तो आया है, लेकिन निगम के कुछ अधिकारियों का मन ही नहीं भीगा! यही वजह है कि सरकारी अभियान के नाम पर इस बार सिर्फ बहाने और बयान ही नजर आ रहे हैं।

पार्षदों का दर्द – “हमसे काम तो करवाते हैं, लेकिन सुनते कोई नहीं”

पार्षदों का कहना है कि उन्होंने कई बार मांग की कि निगम खुद पौधे वार्ड स्तर तक पहुंचाए, लेकिन उनकी बातें अनसुनी कर दी गईं। मोनिका सोनी के बारे में भी पार्षदों की राय बंटी हुई है — कुछ उन्हें तेजतर्रार अधिकारी मानते हैं, तो कुछ उनकी संवादहीन कार्यशैली से बेहद खफा हैं।

अब जनता और पार्षदों को उम्मीदें हैं नई आयुक्त डॉ. निधि पटेल से

कुछ पार्षदों और स्थानीय लोगों का कहना है कि जैसे हेरिटेज की नव नियुक्त आयुक्त डॉ. निधि पटेल बाकी निगम मामलों को सक्रियता से देख रही हैं, वैसे ही अब उन्हें उद्यान शाखा की कार्यशैली पर भी सख्त नजर रखनी होगी। हरियालो राजस्थान महाअभियान की रफ्तार को दोबारा चालू करने की जिम्मेदारी अब उन्हीं के कंधों पर है।




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