(Special Story By Nyay Stambh Team)
जयपुर, 5 अक्टूबर 2025 (न्याय स्तंभ)। राजधानी जयपुर के ऐतिहासिक परकोटे में ‘हेरिटेज’ नाम का नगर निगम तो बना, लेकिन इसकी परिभाषा अब मज़ाक बनकर रह गई है। हेरिटेज नगर निगम के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन अवैध निर्माणों का अंबार लग रहा है। ऐतिहासिक धरोहरों से छेड़छाड़ कर, तोड़फोड़ कर और रिहायशी अनुमति लेकर धड़ल्ले से व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स खड़े किए जा रहे हैं। निगम की मिलीभगत और राजनीतिक संरक्षण के चलते ये निर्माण “सिस्टम के भीतर ही सुरक्षित नजर आने लगे हैं।
मिलीभगत का माफिया मॉडल आया चर्चा में
सूत्रों के अनुसार, आजकल हेरिटेज निगम के भीतर एक बड़ी राजनीतिक हस्ती के पति ही कई निर्माण परियोजनाओं का ठेका ले रहे हैं। कहा जा रहा है कि जहाँ सामान्य निर्माण की दर करीब ₹3,000 प्रति वर्गफुट है, वहीं “नो ऑब्जेक्शन” यानी अवैध निर्माण का रेट ₹4,000 से ₹5,000 प्रति वर्गफुट तक वसूला जा रहा है। इस रकम में निगम के छोटे बाबू से लेकर बड़े अफ़सर तक की “गारंटी” शामिल बताई जा रही है। वहीं अब ये साहब खुद ही ठेकेदार भी बन गए हैं जो पूरी बिल्डिंग का निर्माण करके देते हैं। वहीं इनके अलावा और भी कई सारे ठेकेदार इस लाइन में हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि “अभी तो इन साहब का राज है, कोई मुंह भी नहीं खोल सकता।”
हाई कोर्ट के अवैध निर्माणों पर सख्त कार्रवाई के आदेश
राजस्थान हाई कोर्ट ने कई मामलों में नगर निगमों को निर्देश दिया था कि “जयपुर के हेरिटेज क्षेत्र में किसी भी अवैध निर्माण या ऐतिहासिक भवन में संरचनात्मक बदलाव बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” कोर्ट ने कहा था कि “धरोहर क्षेत्र में किसी भी प्रकार का अतिक्रमण सीधे तौर पर राज्य की विफलता माना जाएगा। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी कह रही है।
यहां आई अवैध निर्माण की बाढ़
वैसे तो पूरे परकोटे में अवैध निर्माण धड़ल्ले से चल रहे हैं। व्यापारी सुमित कुमार ने बताया कि “शिकायत करने पर निगम की गाड़ी आती तो है, लेकिन बिना कुछ किए लौट जाती है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी चौड़ा रास्ते में चार मंजिला इमारत खड़ी हो गई। ब्रह्मपुरी में, नहर के गणेश जी के पास ऐतिहासिक परकोटे की दीवार तोड़कर पूरा भवन बना लिया गया। और नाहरगढ़ रोड पर रिहायशी मंज़ूरी लेकर व्यावसायिक टॉवर खड़े हो रहे हैं।
ड्रोन से होगी अवैध निर्माणों पर निगरानी
नगर निगम हेरिटेज से एक नई खबर पता चली है कि अब ड्रोन से अवैध निर्माणों पर निगरानी की जाएगी। लोगों का कहना है कि जिन इलाकों में ड्रोन उड़ाने की बात की जा रही है, वहीं बुलडोज़र और कंक्रीट मिक्सर की गूंज सबसे ज़्यादा सुनाई देती है। तकनीक आई जरूर है, पर नीयत अब भी पुरानी ही है। शहर के रहने वाले पवन पारीक का कहना है की ड्रोन से निगरानी रखने से क्या होगा अवैध निर्माण माफिया ड्रोन की भी कीमत लगा कर मामला सेट कर लेंगे।
निगम की प्रशासनिक मुखिया सख्त कार्रवाई के मूड में
डॉ. निधि पटेल जब से यहां पर आईं हैं पूरे हेरिटेज निगम की दशा और दिशा सुधारने में लगी हैं। लेकिन भीतर की खबर ये है कि डॉ. पटेल खुद को इस सिस्टम में ठगा हुआ महसूस करने लगी हैं। वो अपने स्वभाव के विपरीत जाकर राजनीतिक दबाव और निगम की एक बड़ी राजनीतिक हस्ती के ऊंचे रसूखात के चलते काम ही नहीं कर पा रही। जबकि डॉ. निधि पटेल एक चिकित्सक भी रह चुकी हैं । उन्हें पता है कि कौन-सी बीमारी का इलाज कैसे किया जाता है, कौन-सी दवाई दी जाती है, और जब मर्ज़ ज़्यादा बढ़ जाए… तो शल्य चिकित्सा यानी सर्जरी करनी पड़ती है। मगर यहां रोग तो गहरा है, और सर्जरी की अनुमति ऊपर से नहीं मिल रही तो वो कैसे बीमारी को खत्म करें।
“हम हाई कोर्ट के निर्देशों की पालना कर रहे हैं। मैंने उपायुक्त सीमा चौधरी को ये जिम्मेदारी दी हुई है। वहीं जहां-जहां शिकायतें आ रही हैं, हम कार्रवाई करने में लगे हैं। डॉ निधि पटेल , आयुक्त नगर निगम हेरिटेज, जयपुर



