जयपुर। 23 जून 2025 (न्याय स्तंभ) । भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भाजपा प्रदेश कार्यालय में श्रद्धाजंलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि डॉ. मुखर्जी राष्ट्रभक्ति, सांस्कृतिक चेतना और राजनीतिक शुद्धिकरण के प्रेरणास्रोत हैं। उनका जीवन एक विचार, एक उद्देश्य और एक समर्पण की मिसाल है। “मुखर्जी जी का परिवार स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा था। राष्ट्रवाद की भावना उन्हें विरासत में मिली। बंगाल विभाजन के समय उन्होंने आंदोलन किया, विधानसभा से इस्तीफा दिया और निर्दलीय चुनाव जीतकर लोगों की आवाज बने।” मुखर्जी जी स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में मंत्री बने, परंतु जब उन्होंने सरकार में तुष्टीकरण और सांस्कृतिक अपमान देखा तो इस्तीफा दे दिया। उस समय कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित कबायली हमला हुआ। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत में विलय की इच्छा जताई, पर प्रधानमंत्री नेहरू ने समय तक नहीं दिया। परिणामस्वरूप आधा कश्मीर पाक अधिकृत हो गया। मुखर्जी को यह स्वीकार नहीं था कि भारत में दो विधान, दो संविधान और दो निशान हों जबकि कश्मीर भारत का अंग था। उन्होंने इस अन्याय का विरोध किया।
राठौड़ ने कहा कि “नेहरू सरकार निरंकुश थी, शेख अब्दुल्ला से उनके व्यक्तिगत रिश्ते राष्ट्रहित पर हावी हो गए। विरोध करने वालों को कुचला गया। डॉ. मुखर्जी ने सत्य और राष्ट्रहित के लिए मंत्री पद त्याग किया। उन्होंने बताया कि जनसंघ की स्थापना मुखर्जी ने पं. दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर की थी। पहले ही चुनाव में पार्टी ने 3 सांसद और 23 विधायक जीतकर राजनीतिक विकल्प के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। कश्मीर में लागू विशेष कानूनों के तहत भारत के नागरिकों को बिना अनुमति प्रवेश नहीं मिलती थी। यह डॉ. मुखर्जी को मंजूर नहीं था। उन्होंने बिना अनुमति कश्मीर जाने का संकल्प लिया और 1953 में 23 जून को उनके बलिदान की खबर आई। उनकी मृत्यु संदेहास्पद थी, लेकिन सरकार ने जांच तक नहीं करवाई। मात्र 51 वर्ष की उम्र में एक राष्ट्रभक्त की मृत्यु हुई।
राठौड़ डॉ मुखर्जी जी के बलिदान की गाथा बताते हुए भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि “डॉ. मुखर्जी के लगाए हुए पौधे को अटल जी ने सींचा और आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वह वटवृक्ष बन गया है। मोदी जी ने धारा 370 हटाकर कश्मीर को भारत का पूर्ण अंग बनाया। यह डॉ. मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है।” कार्यक्रम के अंत में प्रदेश अध्यक्ष ने सभी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे डॉ. मुखर्जी के विचारों और सिद्धांतों को जन-जन तक पहुँचाएं और उनके सपनों के भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं।
इस दौरान उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा, कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, अरूण चतुर्वेदी, कार्यक्रम संयोजक नाहर सिंह जोधा, जिलाध्यक्ष अमित गोयल, विधायक गोपाल शर्मा, बालमुकुंदाचार्य, कैलाश वर्मा, संभाग संयोजक शैलेंद्र भार्गव, जिला संयोजक संजय जैन, भाजपा नेता रवि नैय्यर, चंद्र मोहन बटवाडा मंच पर उपस्थित रहे।