कहा-राम मंदिर निर्माण से अयोध्या का भूगोल ही नहीं, अर्थतंत्र भी बदला
नई दिल्ली, 12 अप्रैल (न्याय स्तंभ)। तीन दिवसीय सांस्कृतिक समारोह ‘अयोध्या पर्व’ का शुक्रवार देर शाम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) में शुभारंभ हुआ। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने ‘अयोध्या पर्व 2025’ के आयोजन के लिए आईजीएनसीए और अयोध्या न्यास को बधाई दी और कहा कि भगवान राम के चरित्र ने न केवल भारतीय चिंतन और विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्तियों को प्रेरित किया है, अपितु भारतीय संस्कृति के अविरल प्रवाह को बनाए रखने के लिए आवश्यक ऊर्जा और दिशा भी प्रदान की है।
अपने उद्बोधन में शेखावत ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं के सांस्कृतिक आक्रमण के सबसे कठिन दौर में गोस्वामी तुलसीदास ने आम लोगों की सामूहिक चेतना से जुड़ते हुए आम लोगों की भाषा में ‘रामचरितमानस’ की रचना की। इसने सनातन संस्कृति के सार को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राम मंदिर की पुनः स्थापना और रामलला के अयोध्या धाम में वापस आने के बाद से ऐसा लग रहा है, जैसे भारत के भाग्य का सूर्य एक बार पुन: उदय होने लगा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में धार्मिक पर्यटन में काफी वृद्धि हुई है। अयोध्या में आने वाले पर्यटकों की संख्या वर्ष 2020 में 60 लाख थी, जो बढ़कर वर्ष 2024 में 16 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। अयोध्या उत्तर प्रदेश का टॉप टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन चुका है और आगरा का ताजमहल दूसरे नंबर पर खिसक गया है। राम मंदिर निर्माण से न सिर्फ अयोध्या का भूगोल बदला है, बल्कि अर्थतंत्र भी बदला है। देश के विकास में अयोध्या एक मील का पत्थर साबित हो रही है। राम मंदिर ट्रस्ट ने सरकार को करीब 400 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में दिए हैं।
तीन प्रदर्शिनयों का उद्घाटन
अयोध्या पर्व के प्रथम दिन तीन उल्लेखनीय प्रदर्शनियों का उद्घाटन किया गया। एक में ‘वाल्मीकि रामायण’ पर आधारित पद्मश्री वासुदेव कामथ की पहाड़ी लघु चित्रों की प्रदर्शनी-‘मर्यादा पुरुषोत्तम’ (भगवान राम) की पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई और ‘बड़ी है अयोध्या’ नामक विषयगत प्रदर्शनी में चौरासी कोस अयोध्या के तीर्थ को दर्शाया गया। केंद्रीय मंत्री शेखावत ने प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। ‘अयोध्या पर्व 2025’ भारतीय कला, आध्यात्मिकता और मूल्यों को पुनर्जीवित करने का एक अनूठा प्रयास है, जिसे आईजीएनसीए और श्री अयोध्या न्यास के सहयोग से दिल्ली में साकार किया जा रहा है।