मां रेणुका और भगवान परशुराम का महापर्व है ‘करवाचौथ’

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इस दिन चन्द्रमा के रूप में दर्शन देते है परमेश्वर ..परशुराम

साभारछाया शर्मा
जयपुर 13 अक्टूबर,2022(न्याय स्तंभ)

कई मान्यताओं के अनुसार श्री हरि परशुराम के द्वारा समस्त पृथ्वी को पाप रहित करके महेंद्र पर्वत पर समाधीलीन होने के पश्चात भी उनके क्रोध अंश गण रूपी शक्तियां पृथ्वी पर विचरण करती रही,,जिसके कारण प्रत्येक वर्ष इंसान के द्वारा किए गए पाप उनकी अकाल मृत्यु का कारण बनते गए !
भगवान परशुराम के गणों के क्रोध को शांत करना किसी के बस की बात नहीं थी इस दौरान पतिव्रता नारियों द्वारा महादेव का आह्वान किया गया…।
महादेव के आदेशानुसार पतिव्रता नारियों द्वारा भगवान श्री परशुराम की जननी मां रेणुका का उपवास रखने को कहा गया । भगवान परशुराम की मां रेणुका का नाम मात्र लेने से भगवान परशुराम और उनसे जुड़ी प्रत्येक शक्ति प्रसन्न हो जाती हैं।
चिरंजीवी भगवान परशुराम को ही चंद्रमा का रूप माना गया है पतिव्रता नारियों के द्वारा पूरा दिन मां रेणुका का करवा चौथ माता के रूप में निर्जला उपवास किया जाता है,,रात्रि में भगवान परशुराम सबको चंद्रमा के स्वरूप में दिखाई देते हैं पतिव्रता नारियों द्वारा चंद्रमा को अर्ध्य दिया जाता है ,, जो श्री परशुराम के चरणो में गिरता है।
पूरे वर्ष में जाने अनजाने में जो भी उनके पति से पाप हुए हैं उसके लिए पतिव्रता नारियों द्वारा परमेश्वर से क्षमा मांगी जाती है।
करवा चौथ नारी शक्ति छिन्नमस्तिका रेणुका का महापर्व है जिसके सामने स्वयं परमेश्वर काल स्वरूप परशुराम भी नतमस्तक होते हैं।



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