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सूत्रों का दावा: तूफान से पहले की शांति, हेरिटेज निगम में बड़ी सर्जरी की तैयारी

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जयपुर, 18 सितंबर 2025 (न्याय स्तंभ)। नगर निगम हेरिटेज से इन दिनों बड़ी सुगबुगाहटें सामने आ रही हैं। सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी ने पूरे निगम गलियारों में सन्नाटा और सस्पेंस फैला दिया है। सरकार ने हाल ही में जयपुर के दोनों निगम—ग्रेटर और हेरिटेज को एक करने का कदम उठाते हुए 150 वार्डों की अधिसूचना जारी कर दी है। इसी बीच, प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया सुधांश पंत का मंगलवार को निगम हेरिटेज का दौरा अचानक चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गया है।


सूत्रों का कहना है कि सरकार लंबे समय से शांत है, लेकिन यह “तूफान से पहले की शांति” साबित हो सकती है। अंदरखाने खबर है कि सरकार हेरिटेज निगम की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए है। महापौर कुसुम यादव और निगम अधिकारियों पर हाल ही में पार्षदों द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप भी अब सरकार के राडार पर हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन आरोपों की जांच सरकार अपने स्तर पर करवा रही है।


इसी बीच एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सूत्र बताते हैं कि हेरिटेज निगम से कई महत्वपूर्ण फाइलें या तो गायब कर दी गई हैं या फिर जानबूझकर गुम करवाई गई हैं। ऐसी शिकायतें उच्च स्तर तक पहुंच चुकी हैं और इन्हीं पर अलग से जांच बैठाई गई है। बताया जा रहा है कि कुछ अधिकारी इन फाइलों और परिवादियों के पीछे की पूरी सच्चाई खंगालने में जुटे हुए हैं।
इसका सीधा असर मंगलवार को भी देखने को मिला। सूत्रों के अनुसार, सीएस सुधांश पंत सुबह-सुबह औचक निरीक्षण के लिए हेरिटेज निगम पहुंच गए। इतना ही नहीं, चर्चा तो यहां तक है कि वे शाम को भी निगम का जायजा लेने पहुंचे, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है।
सूत्र कहते हैं कि सरकार और प्रशासन अब भ्रष्टाचार में लिप्त जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखे हुए है। सवाल यह है कि आगे क्या होगा? क्या सरकार महापौर कुसुम यादव का कार्यकाल बढ़ाएगी या फिर कोई और कदम उठाकर पार्षदों का विश्वास जीतने का रास्ता तलाशेगी?


फिलहाल, जयपुर नगर निगम हेरिटेज का माहौल उथल-पुथल से भरा हुआ है। सबकी नजरें सरकार और उच्चाधिकारियों के अगले कदम पर टिकी हैं और शहर के पार्षद और जनता भी सरकार की तरफ न्याय की उम्मीद लेकर देख रहे हैं । कुछ पार्षदों का कहना है कि हेरिटेज नगर निगम में जितना विकास होना चाहिए था वो हो ही नहीं पाया। उनका कहना है हमारे 5 साल तो सियासी ड्रामे में ही निकल गए। दो सरकारें भी निगम को संभाल नहीं पाई। उनका कहना है कि अब एक होने से क्या फायदा होता है देखते हैं।



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