एक महीने की चुप्पी तोड़ी, अब करने लगीं पौधारोपण!
जयपुर, 16 जुलाई 2025 (न्याय स्तंभ)। बरसात का एक महीना बीत चुका, सावन भी दस्तक दे चुका… लेकिन जयपुर नगर निगम ग्रेटर की हरियाली मुहिम अब तक ठंडी पड़ी थी। न पौधे आए, न कोई आयोजन हुआ। लेकिन जैसे ही सवाल उठे, न्यूज़ रिपोर्ट्स में निगम की चुप्पी पर उंगलियां उठीं… वैसे ही नगर निगम ग्रेटर की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर अचानक हरकत में आ गईं।
बुधवार को मानसरोवर के वार्ड 70 स्थित कावेरी पथ, चित्रगुप्त पार्क में महापौर ने औपचारिक रूप से पौधारोपण किया। इस दौरान पर्यावरण प्रकोष्ठ जयपुर शहर के अध्यक्ष संजय जैन, चेयरमैन पारस जैन, पार्षद रामवतार गुप्ता और कुछ स्थानीय लोग मौजूद थे।
महापौर ने कहा— “वृक्ष हमारे जीवन का आधार हैं, हर व्यक्ति को मानसून में एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए। नगर निगम ग्रेटर द्वारा अब तक 25,000 पौधे विभिन्न माध्यमों से वितरित किए जा चुके हैं और यह अभियान आगे भी जारी रहेगा।”लेकिन क्या सच में 25 हजार पौधे वितरित हो चुके हैं?
भाजपा पार्षदों ने खोली पोल
नगर निगम के कुछ भाजपा पार्षदों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि— “सच्चाई ये है कि अभी तक महापौर ने खुद किसी भी पार्षद को पौधे नहीं दिए। अभी तो टेंडर ही नहीं हुए हैं। नगर निगम के जोन उपायुक्त अपने स्तर पर छोटे-छोटे पौधे दे रहे हैं, वो भी बहुत कम मात्रा में। पहले 9-10 फीट तक ऊंचे पौधे दिए जाते थे, अब तो घास जैसे पौधे थमा दिए जाते हैं।”
निर्दलीय पार्षद बोले— पौधे आए ही नहीं!
कुछ निर्दलीय पार्षदों का कहना है कि उनके क्षेत्रों में अभी तक एक भी पौधा नहीं पहुंचा। “बारिश का एक महीना बीत गया है। अब अगर पौधे आएंगे तो क्या फायदा? अगर जुलाई की शुरुआत में ही मिल जाते, तो इस मौसम में जड़ें जम जातीं और पौधे अच्छे से पनपते। लेकिन निगम तो सिर्फ मीडिया में फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रह गया है।”
घोषणाएं बड़ी, ज़मीन पर असर कमजोर
नगर निगम ग्रेटर की वेबसाइट और प्रेस नोट्स में “हरियालो राजस्थान अभियान” के तहत 25,000 पौधे वितरित करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। पार्षदों का कहना है कि न कोई ठोस प्लानिंग है, न समुचित वितरण प्रणाली। सब कुछ कागजों में हो रहा है।
जनता पूछ रही है— हरियाली के नाम पर आखिर हो क्या रहा है?
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल जयपुर की जनता पूछ रही है— “क्या हरियाली अभियान सिर्फ फोटो-ऑप तक सीमित रह गया है?” जब तक निगम पारदर्शिता के साथ पौधों का वितरण नहीं करता और महापौर ज़मीनी हकीकत को लेकर गंभीर नहीं होतीं, तब तक यह अभियान सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाएगा।