पशु प्रबंधन शाखा के अधिकारी पूरे ग्रेटर निगम पर भारी

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आयुक्त रुक्मिणी रियाड़ को भी आंखें दिखाने की बात आई सामने

जयपुर। 27 सितंबर 2024 (न्याय स्तंभ)। नगर निगम ग्रेटर में पशु प्रबंधन शाखा में बरसों से जमे एक अधिकारी से पूरे निगम के लोग भयभीत हैं। कहा जाता है कि शहर में पशु प्रबंधन से जुड़ा कोई भी व्यक्ति या अधिकारी इन ऊंचे रसूखात रखने वाले साहब के सामने बोलने की हिम्मत तक नहीं करता। वहीं इस अधिकारी पर महापौर सौम्या गुर्जर की विशेष मेहरबानी की भी चर्चा खुले आम हो रही है

निगम आयुक्त रुक्मिणी रियाड़ खुद परेशान
नगर निगम आयुक्त डॉ रुक्मिणी रियाड़ को बहुत सख्त और एरोगेंट अफसर माना जाता है। ये हम नहीं कहते बल्कि सारे निगम में यही चर्चा बनी रहती है। उनका किसी से मिलना जुलना भी प्रतिबंधित है। लेकिन पशु प्रबंधन के इस अधिकारी ने उनकी भी नाक में दम कर रखा है। इस अधिकारी को 16 सीसी, 17 सीसी के साथ ही और भी कई सारे नोटिस दे दिए लेकिन इसका भी उस अधिकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा। अब ये तो आयुक्त साहिबा खुद जाने की आखिर माजरा क्या है। लेकिन लोगों का तो यही कहना है कि इस अधिकारी के इतने ऊंचे रसूखात हैं कि खुद ऊंचे रसूखात रखने वाली आयुक्त इन साहब का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही। अब तो सुनने में ये भी आया है कि ये साहब आयुक्त रुक्मिणी रियाड़ का तबादला करवाने की कोशिश में भी लग गए हैं। ।

प्रतिनियुक्ति पर जमे लेकिन निगम में चल रहा डंडा
नाम नहीं छापने की शर्त पर निगम के ही एक कर्मचारी ने बताया कि ये साहब करीब दस साल पहले पशुपालन विभाग से नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए थे तब से यहीं जम गए। उसका कहना है कि अब तो नगर निगम में इनका सिक्का चलता है। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी इनसे बात करने में भी संकोच करता है। इन साहब का रवैया तो ऐसा है जैसे कि यही नगर निगम के सबसे बड़े अधिकारी हों। इन साहब के लिए अब ये भी कहा जा रहा है कि ये पशुपालन विभाग से नगर निगम में मर्ज हो गए लेकिन किस नियम के तहत हुए इस पर कोई बातचीत करने को तैयार ही नहीं है।

गौपालकों से रिश्ते और निगम में ठेके भी
जानकर सूत्रों से पता चला है कि इन साहब के पूरे शहर के गौपालकों से बहुत गहरे रिश्ते हैं। वहीं निगम में कई सारे ठेकों पर भी इनका आधिपत्य है। अब रिश्ते तो किसी से भी हो सकते हैं और कैसे भी हो सकते हैं इस बारे में हम ज्यादा चर्चा नहीं करेंगे। लेकिन ये बात तो तय है कि पूरे शहर में इनके राज में गौपालक मौज करते हैं। अपने दुधारू पशुओं को दूध निकाल कर सड़क पर छोड़ देते हैं जिन पर निगम कोई कार्रवाई नहीं करता।
कुछ दिनों पहले उपायुक्त पर भी हो चुका है हमला
नगर निगम की पशु प्रबंधन शाखा में कोई भी नया अधिकारी चार्ज लेते हीं एक्शन मोड़ में आता है। और पूरे शहर में ताबड़तोड़ कार्रवाई भी करता है। इसी तरह अभी हाल ही में निगम ग्रेटर में पोस्ट हुई महिला अधिकारी को पशु प्रबंधन शाखा की उपायुक्त की जिम्मेदारी दी गई है जो शायद किसी को रास नहीं आ रही है। यही कारण है कि अभी कुछ दिनों पहले पुराना विद्याधर नगर मंदिर मोड़ पर कुछ लोगों ने उनके साथ अभद्रता करते हुए देख लेने की धमकी भी दी। लेकिन इस दबंग महिला अधिकारी ने उनकी धमकियों को दरकिनार करते हुए पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा दिया। वहीं इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। लेकिन अब सोचने वाली बात ये है कि अगर नगर निगम कोई कार्रवाई करने जाता है तो इन अवैध डेयरीयां चलाने वालों को पहले ही सूचना कौन दे देता है। जिससे वे लोग झुंड में अधिकारी के आगे पीछे होकर उसको डराने की कोशिश करते हैं और पहले ही सारे पशुधन को इधर-उधर गायब कर देते हैं। ऐसा ही सिस्टम निगम में बरसों से चला आ रहा है। अब ये तो पता लगाना निगम के अधिकारियों का ही काम है कि आखिर किसकी शह पर ये अवैध डेयरीयां चल रही है और कौन अभियान शुरू होने से पहले ही शहर में ढिढोरा पीट देता है।

साहब पर बड़े राजनेताओं की मेहरबानी
पशु प्रबंधन शाखा के इन बड़े साहब के लिए कहा जाता है कि इनकी पहुंच बहुत ऊपर तक है। हाल में तो निगम में ये चर्चा भी होने लगी है कि एक उपमुख्यमंत्री से इनके रिश्ते बहुत घनिष्ठ हैं जिस कारण से आयुक्त ही नहीं डीएलबी के बड़े अधिकारी भी इनसे घबराते हैं। वहीं कहा जाता है कि शेखावाटी से आने वाले भाजपा के एक वरिष्ठ राजनेता और पूर्व मंत्री से भी उनके घरेलू सम्बंध है जो इनके बचाव में आते हैं। वहीं जयपुर के एक पूर्व विधायक और इसी विभाग के मंत्री रह चुके राजनीतिज्ञ से भी इनके रिश्ते सामाजिक तौर पर बहुत प्रगाढ़ हैं। ये सब हम नहीं कह रहे सिर्फ सुनी-सुनाई चर्चा है लेकिन इसमें भी बहुत सारी सच्चाई छुपी हुई हैं।



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