समलैंगिक विवाह को देश की संस्कृति पर बताया आघात
जयपुर 5 मई 2023(न्याय स्तंभ) समलैंगिक विवाह को विधिक मान्यता देने को लेकर चल रही सुनवाई के बीच देशभर में चिंता व विरोध भी बढ़ता जा रहा है। जयपुर में जागृत महिलाओं ने कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया। ज्ञापन में समलैंगिक विवाह को देश की संस्कृति के विरुद्ध बताया साथ ही महिला जागृति समूह एवं आम-जनमानस ने समलैंगिक विवाह को मान्यता न देने की मांग की।
महिलाओं का कहना था कि समलैंगिक विवाह भारतीय विवाह संस्कार पर अंतरराष्ट्रीय आघात है। समूह की डाॅ सुनीता अग्रवाल ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से सांस्कृतिक मूल्यों का हनन होगा। साथ ही कहा कि कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है, न्यायालय इस मामले में हस्तक्षेप न करे, संसद का काम संसद को ही करने दें।
समूह में शामिल शालिनी राव ने कहा की भारत के सामाजिक ढांचे में विवाह एक पवित्र संस्कार है और उसका उद्देश्य मानव जाति का उत्थान है। इसमें जैविक पुरुष और जैविक महिला के मध्य विवाह को ही मान्यता दी गई है। अपनी राय व्यक्त करते हुए अरुणा शर्मा ने बताया की समलैंगिक विवाह जैसे मुद्दे पर न्यायालय की सक्रियता का समर्थन मिला तो यह भारत की संस्कृति को कमजोर करेगा।
महिलाओं ने एक स्वर में कहा की न्यायपालिका को विधायिका के क्षेत्र में अतिक्रमण नही करना चाहिए। समलैंगिक विवाह के विषय में न्यायालय को सुनवाई नही करनी चाहिए। सुनीता अग्रवाल, शालिनी राव, मीनाक्षी पारीक, रमा पाण्डे, अरुणा शर्मा, शशि चाहर, मंजू शर्मा, सुमन बंसल सहित सैंकड़ो महिलाए कलेक्ट्रेट पर ज्ञापन देने पहुंची थीं।