मतीष पारीक
जयपुर। सरकार द्वारा आम लोगों की खून-पसीने की कमाई से सरकारी कर्मचारियों को मोटा वेतन दिया जाता है। उनकी सभी सुविधाओं पर खर्च किया जाता है। लेकिन नगर निगम जयपुर के कर्मचारी सरकारी नौकरी पर जाने के बजाय अपने दूसरे कामों पर ध्यान ज्यादा देते हैं। और दूसरी जगह काम करने के कारण वो नौकरी पर जाते ही नहीं है। अब प्रश्न ये उठता है कि जब लगभग आधे कर्मचारी सफाई करने नहीं जा रहे तो फिर उनकी जगह कौन काम कर रहा है।
जी हां नगर निगम के आधे से ज्यादा कर्मचारी नौकरी पर ही नहीं जाते और उनका वेतन तय समय पर उनके खाते में आ जाता है। जब कर्मचारी ही नौकरी पर नहीं जा रहे तो नगर निगम की सफाई व्यवस्था कैसे चल रही है और नहीं जा रहे तो उनकी जगह कौन काम कर रहा है। यहां यह भी प्रश्न उठना लाज़मी है कि अगर ऐसे कर्मचारी अपनी जगह किसी और को काम पर लगाते हैं तो उनको अपने हिस्से की कितनी तनख्वाह देते हैं। और वहां पर कार्यरत सीएसआई और एसआई तथा जमादार कैसे ये सब होते हुए चुपचाप देखते रहते हैं। कहीं अधिकारियों तक महीने की बंधी पहुँचाने एवं खुद की जेब भरने के लिए तो वो किसी और कि नौकरी पर किसी और को काम करने देते हैं।
न्याय स्तम्भ की पड़ताल में ऐसे भी मामले सामने आए जिनमें नगर निगम में कार्यरत सफाई कर्मचारी तो गंभीर बीमारी के चलते बिस्तर पर हैं लेकिन उनकी हाजिरी भी लग रही और तनख्वाह भी पूरी मिल रही है। ऐसा एक ही मामला नहीं है सैकड़ों मामले हैं जिन पर जानबूझकर या कमाई के लालच में अधिकारी आँखे मूंदे देखते रहते हैं। हम यहां नाम इसलिए नहीं खोल सकते क्योंकि हम नहीं चाहते किसी के भी साथ बुरा हो उसको उसकी नौकरी से हाथ धोना पड़े। लेकिन अधिकारियों को जरूर आगाह करना चाहते हैं कि ये मंथली बंधी के चक्कर मे नहीं पड़ कर सरकार के खाते में सेंध लगाना बंद करे। जिससे नगर निगम की दशा और दिशा दोनों में सुधार आ सके।
हमारी पड़ताल में सामने आया कि कुछ कर्मचारी तो अपने परिवीक्षा काल मे भी नौकरी पर नहीं गए और उनका परिवीक्षा काल भी पूरा हो गया। अधिकारियों की मिलीभगत से उनको नगर निगम ने स्थाई भी कर दिया। और उनको अच्छा काम करने का प्रमाण पत्र भी दे दिया।
जब नौकरी करनी ही नहीं तो क्यों किसी जरूरतमंद की सीट पर डाका डाला
नगर निगम के ऐसे कर्मचारियों को नौकरी जॉइन ही नहीं करनी चाहिए थी जो सफाई कर्मचारी के काम नहीं कर पा रहे हैं। उनके जॉइन करने से ना तो काम हो रहा और बेचारा कोई जरूरतमंद नौकरी पाने से रह गया। उनकी जगह कोई गरीब आदमी नौकरी पर लगता तो काम भी करता और उसका घर परिवार के पेट भी पलता।
पद सफाई कर्मचारी लेकिन मिलीभगत से कर रहे दूसरे काम
पड़ताल में सामने आया कि परिवीक्षा काल से सफाई कर्मचारी के पद पर कार्यरत ऐसे कर्मचारी भी हैं जिन्होंने आज तक फील्ड में काम किया ही नहीं । अपनी ऊंची पहुंच और मिलीभगत से वो नगर निगम में अन्य पदों पर कार्य कर रहे हैं लेकिन ये सब अधिकारियों को नहीं दिख रहा या वो देखना ही नहीं चाह रहे। सफाई कर्मचारी को उनके उच्च अधिकारी फील्ड में काम नहीं करने देने के लिए रकम भी वसूलते हैं अभी ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जो अभी भी अपना मूल काम छोड़ कर निगम में दूसरी जगह लगने की तैयारी में लगे हैं। उनका कहना है कि यहां पैसे से सब कुछ होता है। अपने उच्च कर्मचारी को पैसा दो और अपने पद के समानन्तर मन चाहे पद पर काम कर लो।
CSI और SI की होती महत्वपूर्ण भूमिका
बेचारा सफाई कर्मचारी तो इन सब बातों से अनजान होता है लेकिन सीएसआई और एसआई और वार्ड का जमादार उसको ऐसा ज्ञान देता है जिससे वो अपनी जगह किसी और को नौकरी लगा कर तय वेतन उसकी जगह काम करने वाले कर्मचारी को देता है। और उसका कुछ हिस्सा वो इन अधिकारियों को देता है। तब जाकर वो नौकरी करने के बजाय दूसरी जगह आनंद लेने में रहता है।