जयपुर-वन विभाग ने सरकारी स्कूल के जीर्णोद्धार में अटकाया रोड़ा

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प्रशासन को नहीं बच्चों की जान की परवाह


मतीष पारीक
जयपुर। 14 दिसंबर 2022(न्याय स्तंभ) राजस्थान में जहां एक और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नौनिहालों के लिए बाल-गोपाल योजना को अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रहे हैं। बच्चों के लिए योजना के तहत दूध और ड्रेस वितरण करवा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बच्चों के पढ़ने का स्थान कैसा है उनसे अनजान है। शिक्षा विभाग के अधिकारी भी विधालयों की भौतिक स्थिति जानने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाते हैं।शहर में कई सरकारी विधालयों की स्थिति चिंताजनक है। कहीं बिल्डिंग ही नहीं तो कहीं हादसों को निमंत्रण देती विद्यालय की इमारत।
जी हां हम बात कर रहे हैं जयपुर के जवाहरनगर में टीला नंबर 4 स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय की जहां स्कूल के नाम पर 3 कमरे हैं उनमें से भी एक कमरा जो टूटी-फूटी अवस्था में है उसमें भी आंगनबाड़ी चल रही है।

कार्ड बोर्ड से बनी स्कूल की दीवारें और छत
जवाहरनगर टीला नंबर 4 में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में मात्र तीन कमरें बने हैं वो भी कार्ड बोर्ड के।वो भी इतनी जर्जर हालत में है कि कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। लेकिन जिम्मेदार ये कह कर पल्ला झाड़ लेते हैं कि वन विभाग की जमीन होने के कारण वो कुछ भी करने में असमर्थ हैं। लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि अगर ये कमरे कभी गिर गए और बच्चों या स्टाफ के साथ कोई हादसा हो गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
कभी भी गिर सकती स्कूल के चारों तरफ बनी बाउंड्री
विद्यालय के चारों तरफ पत्थर की बाउंड्री बनी हुई जो भी अधरझूल में लटकी है जिसका कभी भी गिरने का खतरा बना रहता है। वहां के स्टाफ ने बताया कि एक बार ये बाउंड्री आधी गिर गई थी लेकिन उस दिन अवकाश होने के कारण यहां कोई नहीं था नहीं तो कोई हादसा हो जाता। अब स्कूल प्रशासन भी लाचार है कि वो इस बाउंड्री को कैसे बनाएं जब कि उनका कहना है कि विधायक रफीक खान ने विधायक कोटे से 5 लाख रुपए स्वीकृत भी कर दिए हैं।

विद्यालय का फर्श भी पूरा टूटा
स्कूल के फर्श को देख कर ऐसा लगता है जैसे कि वहां फर्श की जगह बच्चे मिट्टी में बैठे हों। जगह-जगह से टूटा- फूटा फर्श मानो चीख-चीख कर अपनी जर्जर अवस्था के लिए बोल रहा हो। फर्श में से निकलती मिट्टी और कीड़े बच्चों में बीमारियों का डर भी बनाये रखते हैं। कभी- कभी तो फर्श में से जहरीले कीड़े भी निकलते हैं जो कभी भी बच्चों के लिए जानलेवा हो सकते हैं।

विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए नहीं है शौचालय
सुविधा के नाम पर प्रत्येक स्कूल में कम से कम शौचालय की व्यवस्था तो जरूर होती है लेकिन यहां की सुविधाओं के नाम पर टूटा-फूटा शौचालय। अब पार्षद के सहयोग से एक टॉयलेट को ठीक करवाया गया है। अगर किसी को सुविधाओं का लाभ लेना हो तो आसपास के घरों में जाना पड़ता है।

प्रधानाध्यपिका और पार्षद कर रहे प्रयास
यहां सब अपनी जिम्मेदारी से दूर भाग रहे हैं। लेकिन प्रधानाध्यपिका सुधा गांधी और वार्ड 97 पार्षद सुनीता देवी विद्यालय के निर्माण ले लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहें हैं । वन विभाग की जमीन होने के कारण यहां निर्माण कराने में असमर्थ है जबकि आदर्श नगर विधायक रफीक खान ने 5 लाख रुपये स्वीकृत कर स्कूल के निर्माण का जिम्मा लिया है। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि अगर कभी कोई हादसा हो गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी आंखों पर बांधी पट्टी
इस विद्यालय के हाल से शिक्षा विभाग के अधिकारी भी अनजान नहीं है लेकिन फिर भी बच्चों की जान की परवाह किये बिना वे स्कूल संचालन करवा रहे हैं। ऐसे में अगर अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारी से दूर भागेंगे तो अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल क्यों भेजेंगे।

इनका कहना है….
हमने अपने प्रयास से आदर्श नगर विधायक रफीक खान से स्कूल के जीर्णोद्धार के लिए 5 लाख रुपये स्वीकृत करवा लिए हैं। लेकिन वन विभाग ने इस पर अड़ंगा लगा रखा है। हमने बच्चों के लिए एक टॉयलेट को ठीक करवा दिया है।
सुनीता देवी, पार्षद वार्ड नंबर-97

विद्यालय के लिए आदर्श नगर विधायक रफीक खान ने 5 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए हैं लेकिन वह विभाग हमको काम नहीं करवाने दे रहा। हमारे विद्यालय में शौचालय है लेकिन जीर्ण-शीर्ण अवस्था मे होने के कारण इसको बंद किया हुआ है। एक टॉयलेट को ठीक करवा दिया गया है।
सुधा गांधी, प्रधानाध्यपिका, राजकीय प्राथमिक विद्यालय, टीला नंबर-4 जवाहरनगर



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