सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सवार्थ साधिके। शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
पं. नीरज शर्मा
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है और इसका समापन नवमी तिथि के दिन होता है। इस साल आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 19 जून 2023 सोमवार से शुरू होगी और 28 जून 2023 को इसकी समाप्ति है। नौ दिन तक 10 महाविद्याओं मां काली, तारा देवी, षोडषी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला देवी की पूजा की जाती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2023 मुहूर्त
आषाढ़ माह के प्रतिपदा तिथि 18 जून 2023 को सुब 10 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 19 जून 2023 को सुबह 11 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी। गुप्त नवरात्रि में गुप्त तरीके से पूजा का विधान है, जिसमें तांत्रिक घटस्थापना करते हैं। गृहस्थ जीवन वाले सामान्य पूजा करते हैं।
घटस्थापना मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 23 – सुबह 07 बजकर 27 (19 जून 2023, अवधि 02 घंटे 04 मिनट)
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 55 – दोपहर 12 बजकर 50 (19 जून 2023, अवधि 56 मिनट)
मिथुन लग्न प्रारम्भ – 19 जून 2023, 05:23
मिथुन लग्न समाप्त – 19 जून 2023, 07:27″
ऐसे करें पूजा
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी की पूजा करने के लिए सूर्योदय से पहले उठना चाहिए।
स्नान करके शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और उसे गंगा जल से पवित्र करें।
देवी की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें।
इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा के साथ जप करें।
“गुप्त सिद्धियों को पाने के लिए इस नवरात्रि को सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। मान्यता है कि इसी गुप्त नवरात्रि की पूजा के बल पर विश्वामित्र को असीम शक्ति प्राप्त हुईं थी और इसी महापर्व पर साधना करके रावण का पुत्र मेघनाथ ने इंद्र को हराया था। हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई साधक गुप्त नवरात्रि में एक निश्चित समय पर गुप्त रूप से देवी दुर्गा के पावन स्वरूप की साधना करता है तो उसे उनसे सुख-सौभाग्य और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है। शत्रु, ग्रह बाधा और तमाम दुख उससे दूर रहते हैं।
“आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का आरंभ अबकी बार आर्द्रा नक्षत्र में हो रहा है जो राहु का नक्षत्र है। तंत्रशास्त्र और धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि देवी की उपासना और तंत्र मंत्र की सिद्धि राहुकाल और राहु के नक्षत्र में किया जाए तो यह अधिक फलदायी और लाभकारी होता है। संयोगवश आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का आरंभ अबकी बार वृद्धि योग में हो रहा है।
ऐसे में गुप्त नवरात्रि पर देवी की दस महाविद्याओं की उपासना ध्यान पूर्वक करने वाले भक्ति ऋद्धि सिद्धि से निहाल होंगे।”
गुप्त नवरात्रि पर शुभ संयोग
आषाढ़ गुप्त गुप्त नवरात्रि अबकी बार 19 जून से आरंभ हो रहा है और 27 जून को समाप्त हो रहा है। ऐसे में अबकी बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 9 दिनों की होगी। इस दौरान 25 जून को सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है जबकि पूरे गुप्त नवरात्रि के दौरान 4 रवि योग का संयोग बना है जो बेहद दुर्लभ है। इस नवरात्रि में 20 जून, 22 जून, 24 और 27 जून को रवियोग लग रहा है।”
प्रथम दिन करें माता काली की पूजा
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन माता काली की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां काली की उपासना करने से शत्रुओं का असर जीवन पर कम हो जाता है और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। साथ ही सभी प्रकार के भाई और रोग से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। इस दिन कम से कम 108 बार ‘ॐ क्रीं कालिके स्वाहा।’ मंत्र का जाप जरूर करें।”
दूसरे दिन तारा माता की होती पूजा
दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर तारा माता की उपासना की जाती हैं। इन्हें तारिणी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट।’ मंत्र का 1 माला जाप करें।”
माता षोडशी का तीसरे दिन करें पूजन
देवी षोडशी की पूजा करने से भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह अपने भक्तों को सुंदरता, सौभाग्य और अन्य सांसारिक सुखों का आशीर्वाद भी देती हैं। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।’ मंत्र का जाप जरूर करें।”
चौथे दिन मां भुवनेश्वरी को मनाएं
गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि माता की उपासना करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते ही पूरी कर देती हैं। उनकी पूजा नाम, प्रसिद्धि, वृद्धि और समृद्धि के लिए उनकी पूजा की जाती है। इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम:।’ मंत्र का जाप करें।”
पांचवे दिन माता भैरवी को करें प्रसन्न दस महाविद्वाओं में पांचवे स्थान पर माता भैरवी हैं, जिनकी उपासना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। माता भैरवी एक शत्रुओं की विनाशिनी है और इनकी उपासना करने से साधक को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता आदि की प्राप्ति होती है। इस दिन ‘ॐ ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें”
छठे दिन माता छिन्नमस्ता की होगी पूजा
गुप्त नवरात्रि पर्व के छठे दिन देवी छिन्नमस्ता की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। मान्यता है कि देवी की पूजा करने से आत्म-दया, भय से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता मिलती है। साथ शत्रुओं को परास्त करने, करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की और कुंडली जागरण के लिए मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। इस दिन ‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।’ मंत्र का जाप करें।”
माता धूमावती को सातवें दिन पूजें
माता धूमावती की उपासना दस महाविद्वाओं में सातवें स्थान पर की जाती है। इन्हें मृत्यु की देवी भी कहा जाता है। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता धूमावती की उपासना करने से कई प्रकार के दुख व दुर्भाग्य से राहत मिलत है और ज्ञान, बुद्धि व सत्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन ‘ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।’ मंत्र का जाप प्रभावशाली माना जाता है।”
आठवें दिन मां बगलामुखी की करें साधना
गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन माता बगलामुखी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती और उनसे सुरक्षा मिलती है। कहा यह भी जाता है कि देवी शत्रुओं को पंगु बना देती हैं। इस दिन ”ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
नवें दिन ज्ञान के लिए देवी मातंगी की करें पूजा
दस महाविद्वाओं में नौवें स्थान पर माता मातंगी हैं, जिन्हें तांत्रिक सरस्वती’ के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन देवी की उपासना करने से साधक को गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है और ज्ञान में विकास होता है। इस विशेष दिन पर ‘ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।’ मंत्र का जाप जरूर करें।
नवरात्रा के नवें दिन माता कमला की करें पूजा
गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना का विधान है। उन्हें ‘तांत्रिक लक्ष्मी’ की संज्ञा भी दी गई है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रहे सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन ‘ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः।’ मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।”